पादप ऊतक संवर्धन तकनीक पर पांच दिवसीय कार्यशाला में विद्यार्थियों को मिला शोध का व्यावहारिक अनुभव

पादप ऊतक संवर्धन तकनीक पर पांच दिवसीय कार्यशाला में विद्यार्थियों को मिला शोध का व्यावहारिक अनुभव
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15 से 19 अप्रैल तक श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश में आयोजित कार्यशाला

ऋषिकेश 17 अप्रैल 2025। पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (USERC) के तत्वावधान में पादप ऊतक संवर्धन तकनीक पर पांच दिवसीय हैंड्स ऑन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 15 अप्रैल से 19 अप्रैल 2025 तक किया जा रहा है।

कार्यशाला के दूसरे दिन, थापर विश्वविद्यालय, पटियाला से प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार ने ऑनलाइन माध्यम से छात्र-छात्राओं को पादप ऊतक संवर्धन की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने वर्मिनलाइजेशन (Verminalisation) जैसी उन्नत तकनीक पर चर्चा की, जिसमें केंचुओं की सहायता से मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाकर पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके साथ ही डॉ. कुमार ने बीज उत्पादन प्रक्रिया जैसे बीज चयन, पौधों की देखभाल, बीज परिपक्वता और प्रसंस्करण आदि चरणों पर भी विस्तृत जानकारी दी।

तीसरे दिन, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.के. जोशी कार्यशाला में पहुंचे और छात्र-छात्राओं से संवाद किया। उन्होंने प्रतिभागियों द्वारा किए जा रहे कार्यों में रुचि दिखाई, प्रश्न पूछे और उन्हें उच्च स्तरीय शोध के लिए प्रोत्साहित किया।

तकनीकी सत्र में श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय, देहरादून की जैव प्रौद्योगिकी विभाग की डॉ. रश्मि वर्मा ने पादप ऊतक संवर्धन के अनुप्रयोग, उपयोग और विभिन्न तकनीकों पर गहन चर्चा की। उन्होंने विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में करियर और अनुसंधान की संभावनाओं से अवगत कराया।

इस अवसर पर विज्ञान संकायाध्यक्ष व वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा ने भी छात्र-छात्राओं से कार्यशाला में किए गए कार्यों के अनुभव पूछे और उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कुलपति को भविष्य की योजनाओं की भी जानकारी दी।

कार्यशाला में परिसर निदेशक प्रो. एम.एस. रावत, डॉ. सुनीति कुड़ियाल, शालिनी कोटियाल, सफिया हसन, डॉ. बिंदु, अर्जुन पालीवाल, देवेंद्र भट्ट एवं निशांत भाटला सहित अन्य संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

यह कार्यशाला विद्यार्थियों के लिए न केवल शैक्षणिक रूप से लाभदायक रही, बल्कि उन्हें प्रयोगात्मक अनुसंधान की दिशा में भी प्रेरित करने वाली सिद्ध हुई।


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Govind Pundir

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