सहकारिता चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर: भाजपा ने जताई खुशी

टिहरी गढ़वाल 9 अप्रैल 2025। उत्तराखंड में सहकारिता चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने पर भाजपा ने प्रसन्नता जाहिर की है। पार्टी का कहना है कि सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सहकारी समितियों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के साथ-साथ कई लेनदेन में महिलाओं को विशेष छूट प्रदान की थी। अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने सरकार के निर्णय पर अपनी मुहर लगा दी है।बुधवार को जिला सहकारी बैंक के निवर्तमान अध्यक्ष सुभाष चंद रमोला ने बताया कि 7 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सहकारिता चुनाव को लेकर दायर विशेष याचिका (स्पेशल पिटीशन) पर सुनवाई हुई। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जे. बागची की पीठ ने उत्तराखंड सरकार द्वारा साधन सहकारी समितियों में कराए गए चुनावों को पूरी तरह वैध ठहराया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की दूरदर्शिता और महिलाओं को सहकारिता क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की बदौलत यह संभव हुआ। कुछ लोगों ने जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने के लिए कोर्ट का सहारा लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से सहकारिता चुनाव में बड़ी संख्या में निर्विरोध चुने गए प्रतिनिधियों के सम्मान और भावनाओं की रक्षा हुई है। थोड़ा फेरबदल कर बेहतर बनाओ
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नई टिहरी। उत्तराखंड में सहकारिता चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने से भाजपा ने संतोष व्यक्त किया है। पार्टी का कहना है कि सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सहकारी समितियों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के साथ-साथ कई वित्तीय लेनदेन में महिलाओं को विशेष छूट प्रदान की थी। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने सरकार के फैसले को वैधता प्रदान की है।
बुधवार को जिला सहकारी बैंक के निवर्तमान अध्यक्ष सुभाष चंद रमोला ने बताया कि 7 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सहकारिता चुनाव को लेकर दायर विशेष याचिका (स्पेशल पिटीशन) पर सुनवाई हुई। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जे. बागची की पीठ ने उत्तराखंड सरकार द्वारा साधन सहकारी समितियों में कराए गए चुनावों को पूरी तरह वैध ठहराया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की दूरदर्शिता एवं सहकारिता क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की पहल के चलते यह निर्णय संभव हुआ। कुछ लोगों ने चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने के उद्देश्य से अदालत का रुख किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से निर्विरोध चुने गए प्रतिनिधियों की गरिमा और उनके अधिकारों की रक्षा हुई है।