कोराना से लडते हुए गरीबों को भोजन और पैसा देना जरूरी: राजन
गढ़ निनाद न्यूज़ * 30 अप्रैल
नयी दिल्ली (वार्ता) रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण बने आर्थिक हालात से निपटने की चुनौती के बीच कोरोना की लडाई में आर्थिक संतुलन बनाए रखने की जरूरत है और साथ ही गरीबों को विकास कार्यो से जोड़कर उन्हें पैसा तथा भोजन उपलब्ध कराना आवश्यक है।
श्री राजन ने गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना वायरस बड़ी चुनौती है लेकिन लॉकडाउन को लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता। कोराना काे रोकने के लिए टेस्टिंग आवश्यक है और हमारे पास यह सुविधा नहीं के बराबर है। हम 20 लाख लोगों की टेस्टिंग की बात कर रहे हैं जबकि हम हर दिन 25 से 30 हजार लोगों की ही टेस्टिंग कर पा रहे हैं जो बहुत कम है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि लॉकडाउन को और बढाया जाता है तो देश की अर्थव्यवस्था पर इसके घातक असर होंगे तथा बेरोजगारी से पीड़ित गरीब के लिए जीवन का संकट बढ जाएगा इसलिए लॉकडाउन के अगले चरण में गए बिना महामारी पर नियंत्रण तथा गरीबों को राहत देने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि अगले चरण में लॉकडाउन बढाने के बजाए इसे व्यवस्थित तरीके से खोलने की जरूरत है ताकि सीमित संसाधनों के बीच कोरोना को फैलने से रोका जा सके और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके।
लॉकडाउन के बीच लोगों को जीवित रखने का जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि गरीब को काम की तलाश में लॉकडाउन के बीच ही बाहर निकलने के लिए मजबूर न करना ही सबसे फायदेमंद होगा। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को पैसा और भोजन एक साथ देने की आवश्यकता है और यह काम सार्वजनिक वितरण प्रणाली-पीडीएस के जरिए मुहैया कराया जा सकता है।
श्री राजन ने संकट के दौर में गरीबों को इस संकट में सीधे और तत्काल लाभ पहुंचाने की वकालत करते हुए कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण-डीबीटी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि रोजगार के अभाव से जूझ रहे गरीब श्रमिकों के आर्थिक संकट को दूर किया जा सके और भोजन दिया जा सके। उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों तक कोराेना के कारण उत्पन्न संकट से उनके समक्ष रोजगार को लेकर अनिश्चितता की स्थिति है इसलिए आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए उन्हें पैसा और भोजन देना आवश्यक है।