संपादकीय: ‘सेप्टिक शॉक डिजीज’ से जा सकती थी जान, लेकिन डॉक्टर निकला भगवान
गढ़ निनाद न्यूज़* 23 जुलाई 2020
नई टिहरी: डॉक्टर को भगवान का रूप ऐसे ही नहीं कहते। कभी कभी इंसान की जान दो के हाथों होती है , एक भगवान और दूसरा डॉक्टर। जी हाँ ऐसा ही मामला सामने आया है पीपीपी मोड़ पर चल रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलेश्वर चमियाला का। जहां एक महिला की जान जाने की थी नौबत थी लेकिन हिमालयन के चिकित्सकों ने सर्जरी कर उसे बचा लिया। बता दें कि पांच दिन पहले एक महिला के पैर में घाव हो गया था, इन्फेक्शन से जान जाने का भी खतरा बरकरार था।
टिहरी जिले की घनसाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम खवाड़ा बासर की महिला के पैर कटने से हिमालयन हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने बचा लिया। हिमालयन हॉस्पिटल के सर्जन डॉ.शिफा अंसारी ने बताया कि ग्राम ख्वाड़ा पट्टी बासर चमियाला की 54 वर्षीय वैष्णवी देवी (बदला हुआ नाम) देर रात इमरजेंसी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलेश्वर हॉस्पिटल पहुंची। महिला ने बताया कि करीब पांच दिन पहले गांव में चोट लगने से पैर में घाव बन गया।
इस दौरान महिला ने कोई उपचार भी नहीं लिया। पांच दिनों में महिला के पैर में लगे घाव में इन्फेक्शन काफी हद तक बढ़ गया। महिला सेप्टिक शॉक में थी, घुटने से नीच पैर काटना पड़ सकता था। यही नहीं एक दिन की देऱी भी महिला की जान पर भारी पड़ सकती थी। जरूरी स्वास्थ्य जांचों के बाद महिला के पैर का तुरंत ऑपरेशन किया गया। सर्जरी में डॉ.राकेश मिलिंद, डॉ.आरुषि, नर्सिंग ऑफिसर अर्जुन, अंशुल, रोशन, दीपशिखा, शशि शाह ने सहयोग दिया।
डॉ.शिफा अंसारी की मानें तो सेप्टिक शॉक वो कंडीशन है, जब शरीर के टिश्यूज में इन्फेक्शन फैल जाता है। इन्फेक्शन से लड़ते हुए शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान होने लगता है। अगर इन्फेक्शन कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह और गंभीर हो जाता है। इस स्टेज को सेप्टिक शॉक कहते हैं। इसमें रोगी की जान का खतरा बढ़ जाता है। इस अवस्था में दवाइयों का असर पहले की तुलना में कम हो जाता है। रक्त में इन्फेक्शन फैल जाता है। इसके अलावा किडनी, लंग और अन्य अंगों पर इसका असर होने लगता है। बीमारी बढ़ने पर एंटीबायोटिक दवाइयां भी काम करना बंद कर देती हैं। क्षेत्र के लोगों ने हिमालयन की पूरी टीम का धन्यबाद किया है।