कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-7 )
स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज, लगा चुनरी पे दाग
विक्रम बिष्ट*
दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले की कालिख ने स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज की छवि पर गहरा धब्बा लगा दिया है । इस कॉलेज का संचालन प्रतिष्ठित स्वामी पूर्णानंद विद्या निकेतन चैरिटेबल समिति कर रही है।
मुनी की रेती में शिक्षा कल्याण को समर्पित इस विद्यालय की स्थापना 1963 में की गई थी। स्वामी जनार्दन परमहंस के शिष्य और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री जुगल किशोर ने इसकी नींव रखी थी। विद्यालय को 1980 में हाईस्कूल और 1987 में इंटर की मान्यता मिली। तब विद्यालय आज की बहुत सारी शिक्षा की दुकानों की तरह नहीं थे कि चट मंगनी पट शादी की तर्ज पर कहीं से भी मान्यता का जुगाड़ हो जाए।
स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज आफ टेक्निकल एजुकेशन 2012 में शुरू किया गया है। उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार कालेज में अध्ययनरत अनुसूचित जाति के 61 छात्र-छात्राओं ने 2014-15 की छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन किया किए थे। अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण के 16 जनवरी 2015 के आदेश के अनुसार डिग्री कॉलेज की सूची का सहायक समाज कल्याण अधिकारी के माध्यम से सत्यापन कराया जाना था। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने कार्यालय में कार्यरत कैंप प्रभारी जीतमणि भट्ट को 5 फरवरी 2015 को उपरोक्त कॉलेज के 61 छात्र छात्राओं की सूची का भौतिक सत्यापन करने का आदेश जारी किया। बताया गया है कि तब संबंधित समाज कल्याण अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण ऐसा किया गया था।
19 फरवरी 2015 को जीतमणि भट्ट ने कॉलेज जाकर सत्यापन की निर्धारित प्रक्रिया की कार्रवाई पूरी की। इस बीच मुख्य सचिव की ओर से 16 फरवरी 2015 को जिलाधिकारियों को एक आदेश जारी हुआ। इसमें कहा गया कि जिला समाज कल्याण अधिकारियों द्वारा कराए जा रहे भौतिक सत्यापन पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए जिलाधिकारी के माध्यम से सत्यापन कराए जाने का निर्णय लिया गया है। उपजिलाधिकारियों, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारियों एवं अन्य जनपद स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से विद्यार्थियों का भौतिक सत्यापन कराये जांय।
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कल अवश्य पढ़िए– कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-8)