बुधू- के सेना बनाम बी सेना

गढ़ निनाद न्यूज़*14 अक्टूबर 2020
नई टिहरी।
के सेना को एंबुलेंस चाहिए। जैसे भी हो परंतु तुरंत चाहिए। एंबुलेंस होती इमरजेंसी के लिए है। ताकि मरीज का त्वरित उपचार हो। मरीज कोरोना का हो या राजनीति का, जल्दी चाहिए। के सेना की परंपरागत मिल्कियत हस्तिनापुर बी सेना ने हथिया रखी है। महाभारत को उलटा पढ़ा जा रहा है। तब बी सेना की मिल्कियत के सेना ने हथिया ली थी। द्वापर युग था थोड़ा धर्म, कर्म बचा था। बदले में बी सेना को बीहड जंगल का टुकड़ा दे दिया था, लो मौज करो।
लेकिन अब बी सेना हस्तिनापुर से ही नहीं पूरे भारत से के सेना का सफाया करने पर तुली हुई है। के से भारतवर्ष का लंबा इतिहास जुड़ा हुआ है। कोलंबस भारत को खोजने के लिए निकला था। गलती से अमेरिका जहां जा पहुँचा। अमेरिका जहां-तहां इसीलिए बिना बुलाए घुस जाता है। कोरोना की भी यही फितरत है। कोलंबस उल्टी दिशा में गया। सही दिशा एक और ने पकड़ी। के याने क्वात्रोची। बोफोर्स तोप के साथ सीधे भारत टपका।
हम भारतीय कहते हैं कि हमें रिश्तेदारी निभानी आती है। यहां देशी ही नहीं विदेशी भी खूब निभाये हैं।के सेना का हर सिपाही अनुशासित जन सेवक, लगभग बेचारा सा सादगी पसंद होता है। इसका अर्थ यह नहीं कि कोई उसकी परंपरागत मिलकियत हड़पने ले। यह अन्याय है। अन्याय सहना पाप है। के सेना इस अन्याय से लड़ने के लिए पूरी तरह तत्पर है। आर-पार की लड़ाई है। लग्जरी कार न सही एंबुलेंस से ही सही। हम लड़ेंगे साथी, हम लड़ेंगे। और पार वालों सुनो हम तुम्हारे लिए लड़ेंगे।
तभी मच्छर ने गाल की चुम्मी ली। सर्दी आने वाली है, शायद यह आखरी थी। ज्यादा दर्द भरी। बुधू तडफा कर उठा। देखा इधर-उधर कोई नहीं दिखा। अभी अभी तो ढेर सारे थे। सपना, हां सपना! कोई बात नहीं के सेना और बी सेना दोनों को शुभकामनाएं।
आपका बुद्धू।