टिहरी बांध प्रभावित रौलाकोट के ग्रामीण धरने पर
गढ़ निनाद समाचार* 2 नवम्बर 2020
विक्रम बिष्ट
नई टिहरी। टिहरी बांध प्रभावित रौलाकोट के ग्रामीण पुनर्वास सबंधित मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से आंदोलनरत हैं। वे चर्चित डोबरा चांठी पुल के निकट धरने पर बैठे हैं। चाहते हैं कि पुल के साथ उनकी समस्याओं का भी समाधान हो जाए।
टिहरी बांध पुनर्वास नीति 1998 के तहत द्वितीय चरण के 168 परिवारों का रौलाकोट गांव आंशिक प्रभावित श्रेणी में शामिल है। लगभग 62 हेक्टेयर भूमि में आबाद गांव के 33 परिवारों को हरिद्वार के पथरी में लगभग 17 साल पहले पुनर्वास हो गया है। ग्राम प्रधान आशीष डंगवाल के अनुसार पुनर्वास महकमे में पुनर्वास की पात्रता की संभावित सूची में 112-114 परिवारों को शामिल किया है। गांव की लगभग 6 हेक्टेयर पंचायती भूमि का 36 लाख रुपए प्रति कर भुगतान होना है। जिसका दावेदारों में बंटवारा होना है। दोनों बिंदुओं पर विभाग निर्णय की स्थिति में है।
बताया है कि पुनर्वासित परिवारों को सम्पत्तियों का प्रतिकर 2003-2004 में किया गया था। पुनर्वास नीति लागू होने और भुगतान तिथि के बीच ब्याज का भुगतान टीएसडीसी ने नहीं किया है । लगभग एक दर्जन परिवारों को पुनर्वास की पात्रता से बाहर रखा गया है। पुनर्वास के तहत 75% प्रभावित परिवारों वाले गांव को पूर्ण प्रभावित श्रेणी में रखा गया है। रौलाकोट के ग्रामीणों की मांग कि इन शेष परिवारों को भी पुनर्वास सुविधा दी जाए।
लगभग 4 वर्ष पूर्व भी ग्रामीणों ने भाजपा के पूर्व और वर्तमान विधायक विजय सिंह पंवार के नेतृत्व में भोमेमेश्वर मंदिर में आंदोलन चलाया था। डोबरा चांठी पुल निर्माण एवं रौलाकोट वासियों के पुनर्वास आदि मुद्दे पर कई दिनों चले आंदोलन के समर्थन देने तब के नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट भोमेश्वर पहुंचे थे। विधायक पँवार का कहना है कि रौलाकोट के लोगों की सभी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जा रहा है।
गौरतलब है कि परियोजना से जुड़े भूवैज्ञानिकों ने झील की परिधि से अस्थिर जनता को गांवों को लेकर कई सिफारिशें की है। रौलाकोट भी उनमें से एक ही ।