ढाक के तीन पात
मुंडौ नौं बल कपाल
संपादकीय
गढ़ निनाद समाचार।
गढ़वाली कहावत है कि “मुंडौ नौं बल कपाल।” उत्तराखंड में वही कहावत चरितार्थ होती दिखाई दी। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहे उत्तराखंड की राजनीति में ऐसा क्या हो गया कि भाजपा हाईकमान को 4 साल से पहले ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदलना पड़ा। क्या उनके इस कार्यकाल से हाईकमान खुश नहीं था। नहीं था तो 4 साल तक जनता के साथ क्यों छलावा किया गया।
उत्तराखंड में हुई सियासी हलचल को लेकर सवाल तो बहुत हैं, लेकिन जवाब सिर्फ (बकौल त्रिवेंद्र सिंह रावत) हाईकमान के पास है। आखिर भाजपा हाईकमान ने बीच बजट सत्र से ही ऐसे हालात क्यों पैदा किए कि टीएसआर को हटना पड़ा। क्या उनके नेतृत्व में 2022 का चुनाव जीतना भाजपा के लिए मुमकिन नहीं था।
नया चेहरा 9-10 महीने में ऐसा क्या गुल खिलाएगा कि भाजपा 57 से 60 पहुंच जाएगी। सवाल कई हैं, उनका जवाब अभी भविष्य के गर्त में है। सवाल चेहरा बदलने का भी नहीं सवाल है। जिस जनता ने पूरे 5 साल के लिए भाजपा को दो तिहाई बहुमत दिया उस जनादेश का अपमान करने का अधिकार उसे किसने दिया?
त्रिवेंद्र रावत को 4 साल का जश्न मनाने से ठीक 9 दिन पहले हटा देना अपने में कई प्रश्न खड़े करता है। बता दें कि 18 मार्च को सरकार के 4 साल पूरे होने जा रहे थे और जश्न की तैयारियां जोरों पर थी।
क्या चेहरा बदलने से इन नौ दस महीनों में वह सारे काम हो जाएंगे जो इन 4 सालों में नहीं हुए। विपक्ष ही नहीं जनता भी इन सवालों का जवाब जरूर मांगेगी। अगर इन 4 सालों में अच्छे काम हुए हैं तो भाजपा हाईकमान के सामने ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि उन्हें त्रिवेंद्र सरकार को कार्यकाल से पहले हटाने को मजबूर होना पड़ा ।
आखिर भाजपा हो या कांग्रेस दोनो को अपने हाईकमान पर क्यों निर्भर रहना पड़ता है। इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। कोई भी पार्टी हो या सरकार वह उस जनता के प्रति जवाब दे क्यों नहीं होती जिसने उसे चुन कर भेजा है। चुनाव जीतने के बाद जनता गौण क्यों हो जाती है ।
उत्तराखंड का यह दुर्भाग्य रहा है की इन 21 सालों में वह 10 मुख्यमंत्री देख चुकी है और 11वां देखना बाकी है। कार्यकाल की बात करें तो पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी 11 महीने, भगत सिंह कोश्यारी पहली बार 4 महीने, एन डी तिवारी पूरे 5 साल, भुवन चंद्र खंडूरी 2 साल 4 महीने, रमेश पोखरियाल निशंक 2 साल 3 महीने, फिर खंडूरी 6 महीने, विजय बहुगुणा 1 साल 11 महीने, हरीश रावत 3 साल 1 महीने, त्रिवेंद्र रावत चार साल से 9 दिन कम, मुख्यमंत्री रहे। दसवें मुख्यमंत्री की कल घोषणा हो जाएगी और वह भी केवल 1 साल के लिए। उसके बाद 2022 में चुनाव होने हैं। उसके बाद कौन मुख्यमंत्री बनेगा? यह भविष्य के गर्त में है।
इधर उत्तराखंड के राज्यपाल ने दिनांक 9 मार्च 2021 के अपराहन से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा उनकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का त्यागपत्र स्वीकार किया है और यह आदेश दिए हैं कि नई सरकार के गठन होने तक वह अपनी मंत्रिपरिषद के साथ यथावत शासन का कार्य देखते रहे। इस प्रकार की अधिसूचना मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी की गयी है।