किशोर ने किया तीर्थ पुरोहितों के आंदोलन का समर्थन
नई टिहरी। वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता व संस्थापक किशोर उपाध्याय ने तीर्थ पुरोहितों द्वारा अपने पुश्तैनी हक़-हकूक़ों की रक्षा के लिये किये जा रहे आन्दोलन का समर्थन किया है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वनाधिकार आन्दोलन राज्य के निवासियों के वनों पर पुश्तैनी हक़-हकूकों और अधिकारों की रक्षा के लिये संघर्ष कर रहा है । इसलिये भी वनाधिकार आन्दोलन का कर्तव्य बनता है कि वह तीर्थ पुरोहितों को समर्थन दे।
उपाध्याय ने कहा कि कोरोना के इस महा संकट के काल खण्ड में चार धाम यात्रा न के बराबर हुई है।दो वर्ष बिना यात्रा के निकलने जा रहे हैं, जिससे तीर्थ पुरोहितों, कथा वाचकों, विप्र समाज और इन धार्मिक कार्यों से जुड़ा वर्ग जिसमें ढोल वादक आदि भी शामिल हैं, भुखमरी की कगार पर आ गये हैं।
उपाध्याय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की हठ धर्मिता और अड़ियल स्वभाव के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जब इस सम्बन्ध में पुनर्विचार हेतु मंशा व्यक्त की तो तीर्थ पुरोहितों में आशा जगी थी कि उनके साथ न्याय होगा, लेकिन सरकार के 3 महीने बीतने पर भी अभी तक मुख्यमंत्री जी अपने बचनों की रक्षा नहीं कर पाये हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
उपाध्याय ने कहा कि वे तीर्थ पुरोहित समाज से अनुरोध करेंगे कि वे उन्हें अपने आन्दोलन में समर्थन देने हेतु उपस्थित होने की अनुमति प्रदान करें। उपाध्याय ने तीर्थ पुरोहित समाज से यह भी अनुरोध किया कि वे अपने साथ अपने यजमान समाज को भी जोड़ने का प्रयास करें, जो कि पूरे विश्व में फैला हुआ है।
उपाध्याय ने कहा कि वे देश के अन्य तीर्थ पुरोहित समाजों से भी इस आन्दोलन को समर्थन देने का अनुरोध करेंगे और 23 जून को हरिद्वार के सन्त समाज से व्यक्तिगत रूप से मिलकर इस आन्दोलन को समर्थन देने का अनुरोध करेंगे।