उत्तराखंड में शीघ्र बने “भू-कानून” और वनाधिकारों” की बहाली हो- आनंद सिंह बेलवाल एवं शांति प्रसाद भट्ट
नई टिहरी। टिहरी गढ़वाल जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष, एडवोकेट आनन्द सिंह बेलवाल ओर निवर्तमान अध्यक्ष शान्ति प्रसाद भट्ट ने वनाधिकार आंदोलन के प्रेणता श्री किशोर उपाध्याय द्वारा दिनांक 20 जुलाई 2021 वनाधिकारों और भू-काननू की पैरवी के लिए दिल्ली के जंतर मंतर में दिए जा रहे धरने को पूर्ण समर्थन दिया है ।
नेता द्वय ने कहा कि देश के नवोदित उतराखण्ड राज्य में अब “भू-कानून” बन जाना चाहिए और वनाधिकारों की बहाली होनी चाहिए, चूँकि उतराखण्ड की पहली सरकार और उसके बाद की एक-दो सरकारों ने इस दिशा में कुछ काम किया था।
लेकिन वर्ष2017 के बाद सत्ता में आई भाजपा सरकार विधानसभा में एक विधेयक लेकर लाई जिसमें कि “उ.प्र जमीदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा143 (क) और 154(2) को जोड़ते हुए पहाड़ो में भूमि के क्रय विक्रय की अधिकतम सीमा खत्म कर दी। इस विधेयक का कांग्रेस ने पुरजोर विरोध किया था। सदन में केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने इस पर पार्टी का पक्ष रख कर विरोध दर्ज किया था। चूँकि कृषि विभाग के आंकड़े कहते है कि प्रतिवर्ष 4500हेक्टेयर भूमि कृषि से बाहर हो रही है, शेष भूमि वन भूमि बचती है।
इसलिए सरकारों को चाहिए कि
1:-उत्तराखंड में भूमि की कई किस्में में है, पहले उन किस्मों का नियमितीकरण किया जाए जैसे शिल्पकारों, अनुसूचित जाति जनजातियों को प्रदान की गई भूमियां और विभिन्न प्रकार के पट्टे की भूमियां आदि ।
2:-1960 के दशक के बाद भूमि बंदोबस्त नही हुआ है, इसलिए अब भूमि बंदोबस्त किया जाए।
3:-पर्वतीय क्षेत्रों में चकबंदी की अत्यंत आवश्यकता है, पूर्व की सरकार ने इसके लिए कानून बनाया है, उसके रूल्स बनने बाकी है, ताकि इस दिशा में भी आगे बढ़ा जा सके।
4:-भू-कानून जरूर बनना चाहिए इसके लिए यदि हिमांचल, सिक्किम, मेघालय से भी अगर कुछ जरूरी क्लोजेज लेने हो तो लिए जाने चाहिए।
5:-भू-कानून को बनाते वक्त वनाधिकारों से सम्बंधित कानूनों को भी दृष्टि में रखना होगा, चूँकि पहाड़ों में हम सभी वनों पर आधारित जीवन यापन करते है।
6:-भू-कानून को बनाते वक्त विभिन्न बांधों से प्रभावित ओर विस्थापित हुए लोगों को विस्थापन वाली जगह पर ही भौमिक अधिकार दिए जाने का प्रावधान किया जाए ।
7:-वनाधिकारों के तहत केंद्रीय सरकार संविधान संसोधन कर अनुच्छेद 371 में 371(H) को जोड़ते हुए, उतराखण्ड को विशेष राज्य के रूप में लाभ प्रदान किया जाए।