पलायन कर चुके परिवारों के खण्डहर हो चुके मकानों, गौशालाओं, छानियों आदि के बारे में नीति बने-किशोर
नई टिहरी। वनाधिकार आन्दोलन के संस्थापक-प्रणेता और सूबे के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने गाँवों से पलायन कर चुके परिवारों के खण्डहर हो चुके मकानों, गौशालाओं, छानियों आदि के बारे में नीति बनाने का आग्रह किया है।
उपाध्याय ने कहा कि 21 वें वर्ष पूर्ण कर चुके राज्य में 2000 से अधिक गाँव भूतहा हो गये हैं, जो कि राज्य निर्माण की भावना पर गम्भीर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे है।
उपाध्याय ने कहा कि अभी गाँवों के भ्रमण के दौरान अधिकतर गाँव वासियों ने इन खण्डहर, टूटे और ख़तरनाक मकानों को तोड़ने की नीति बनाने की माँग की है।
उपाध्याय ने कहा कि गाँव वासियों ने उन्हें बताया कि गाँव में रहने वाले लोगों के लिये ये मकान आदि ख़तरे के सबब बन गये हैं।
इन खण्डहरों में अब ख़तरनाक जंगली जानवर अपना बसेरा बनाने लगे हैं और कई लोगों पर हमला कर चुके हैं, घायल कर चुके हैं और कईयों को मार भी चुके हैं।
कई नौनिहाल इन खण्डहरों के कारण अपनी जवान गँवा चुके हैं।
लुका-छुपी के खेल में जंगली जानवरों के निवाले बनने के साथ-साथ साँप व बिच्छुओं के शिकार हो चुके हैं।
उपाध्याय ने कहा कि गाँव वासियों ने सुझाव दिया है कि मनरेगा के तहत इन भवनों को तोड़ने और समतलीकरण की व्यवस्था की जानी चाहिये, ज़िससे गाँवों में निवासित लोगों के जीवन की रक्षा हो सके।
उपाध्याय ने कहा कि जनहित में सरकार इस सुझाव को स्वीकार करेगी और इस जाते हुये वर्ष में लोगों के जीवन की रक्षा करेगी।