उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर हो भू कानून- नेगी
महिलाओं को 30 प्रतिशत और आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने, भू कानून, लोकायुक्त व पलायन को लेकर मंच सरकार पर बनाएगा दबाव
टिहरी गढ़वाल 30 अक्टूबर 2022। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच टिहरी गढ़वाल का जिला सम्मेलन नई टिहरी स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित किया गया। जिसमें मंच के प्रदेश अध्यक्ष समेत तमाम पदाधिकारी व टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय मौजूद रहे। इससे पूर्व दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया गया।
इस मौके पर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी ने कहा कि उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर भू कानून होना चाहिए। भू कानून से हमें नुकसान यह हो रहा है कि यहां निरन्तर पलायन हो रहा है इसे रोका जाए। उन्होंने कहा कि हाल में पीएम ने माणा में स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने की बात कही है हमारी मांग है कि माणा के उत्पादों को सीएसडी कैंटीन के मार्फ़त बिक्री की जाए ताकि ये उत्पाद पूरे उत्तराखंड के घर घर तक पहुंचे। इसी प्रकार सभी जनपदों के स्थानीय उत्पादों को बड़ी बड़ी संस्थाओं के माध्यम से बेचेंगे तो उन्हें लाभ होगा और पलायन रुकेगा।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को 30 व आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि आगामी समय में अगर लोकायुक्त, परिसीमन और भू कानून व पलायन के मुद्दे पर हम काम नहीं कर पाए तो निश्चित रूप से हमारे आंदोलनकारी होने पर प्रश्न चिन्ह उठेगा, हमें उम्मीद है कि सरकार इन सब मुद्दों पर सकारात्मक रुख अख्तियार करेगी। अगर ऐसा नहीं किया तो निश्चित तौर पर मंच के माध्यम से उग्र आंदोलन किया जाएगा।
मंच के जिलाध्यक्ष देवेंद्र दुमोगा ने कहा कि आज के इस सम्मेलन में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। नई कार्यकारिणी का भी चुनाव होगा। उन्होंने कहा कि सरकार अगर राज्य आंदोलनकारियों की मांगों पर सकारात्मक सोच नहीं रखती है तो मंच के माध्यम से आगे की रणनीति तैयार करेंगे।
शिक्षक नेता चंद्रवीर नेगी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य प्राप्ति के लिए बच्चों से लेकर बूढ़े तक जब सड़कों पर थे तो कर्मचारियों ने भी अपनी नौकरी दांव पर लगाकर तीन महीने बिना वेतन आंदोलन किया। आज जब राज्य आंदोलनकारियों को सरकार सम्मान राशि दे रही है तो कर्मचारियों को भी यह सम्मान राशि मिलनी चाहिए। पहाड़ों से आज भी पलायन हो रहा है जिसे रोका जाना चाहिए।
वरिष्ठ आंदोलनकारी व कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष शांति प्रसाद भट्ट ने अफसोस जताया कि जो लोग विपक्ष में रहते वनाधिकारों की बात करते थे आज सत्ता में बैठकर क्यों मौन हैं। कहा कि पहाड़ का नौजवान दर दर भटक रहा है। पलायन निरंतर जारी है। हमारी जो भावनाएं थी की राजधानी गैरसैंण बने वह मांग ठंडे बस्ते में चली गई है। वर्तमान सरकार गैरसैंण में राजधानी बनाने को तैयार नहीं है। कहा कि पहाड़ में अगला जो परिसीमन होगा उसमें पहाड़ में विधानसभा की कई सीटें कम हों जाएंगी । भट्ट ने कहा कि भू कानून को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की जा रही है लेकिन आज भी बाहरी लोग धड़ल्ले से पहाड़ में भूमि की खरीद फरोख्त कर रहे हैं। वन पंचायतें ठप पड़ी है। इन सब पर ध्यान देना होगा और ईमानदारी से वन अधिकार को लेकर काम करना होगा।
इस मौके पर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष व आंदोलनकारी उमेश चरण गोसाई ने कहा कि आज के सम्मेलन में एक प्रस्ताव निश्चित रूप से जाना चाहिए की विधानसभा में जैसे एंग्लो इंडियन के लिए एक सीट आरक्षित है उसी तरह उत्तराखंड आंदोलनकारियों के लिए भी 1 सीट आरक्षित की जानी चाहिए।
इस मौके पर मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी, महासचिव रामलाल खंडूरी, सुमन भंडारी प्रदेश सचिव, प्रदीप कुकरेती जिला अध्यक्ष देहरादून, सत्येंद्र भंडारी, शांति प्रसाद भट्ट, ज्योति भट्ट, उमेश चरण गुसाईं, विजय गुनसोला, राकेश भूषण गोदियाल, श्रीमती उर्मिला महर, श्रीमती प्रभा रतूड़ी, देवेंद्र नौडियाल, किशन सिंह रावत, जय प्रकाश पांडे, साब सिंह सजवान, महिपाल नेगी, इसरार फारुकी, श्रीपाल चौहान, गोविंद बिष्ट, राजेश नौटियाल, राजेंद्र असवाल, विक्रम कठैत, महावीर रावत, मुरारी खंडवाल, उत्तम तोमर, चंद्रवीर नेगी, सुंदर सिंह कठैत, हरिकृष्ण लांबा, सुंदरलाल उनियाल, चंद्रवीर नेगी दिनेश सेमवाल समेत तमाम आंदोलनकारी मौजूद रहे।
मंच संचालन उपाध्यक्ष देवेंद्र नौडियाल व महासचिव किशन सिंह रावत ने किया।