गैरसैंणके अलावा अन्यत्र विधानसभा सत्र मंजूर नहीं- प्रदीप टम्टा
झील(गंगा) में मल-मूत्र डालना नमामि गंगे प्रोजेक्ट के दिशा निर्देशों का उलंघन, कम्पनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो।
टिहरी गढ़वाल 6 नवम्बर 2022। कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा के पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि भाजपा सरकार गैरसैंण में विधानसभा सत्र करने से लगातार बच रही है। गर्मियों में यात्रा चार धाम यात्रा का हवाला देकर, शीतकाल में सर्दियों का और बरसात में तो सत्र होने का मतलब ही नहीं होता तो फिर सत्र कब होगा। याने साफ मतलब है कि सरकार जिसने गैरसैंण को ग्रीष्म तालीन राजधानी घोषित किया था अब वहां विधानसभा सत्र करने से बच रही है ।
प्रदीप टम्टा यहां नई टिहरी में जिला कांग्रेस कार्यालय में प्रेस को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा गैरसैंण में स्थायी राजधानी की पक्षधर रही है। हमारी मांग है कि अगला सत्र हर हाल में गैरसैंण में हो। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अन्य निर्दलीय विधायकों के माध्यम से पत्र लिखवाकर यहां शीतकालीन सत्र नहीं करना चाहती है। टम्टा ने कहा कि गैरसैंण उत्तराखंड राज्य की अवधारणा का प्रतीक है इसलिए इसे स्थायी राजधानी घोषित किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि उनके टिहरी आगमन पर उन्हें एक वीडियो से पता चला कि फ्लोटिंग हट्स का मल-मूत्र गंगा (झील)ने डाला जा रहा है जो नमामि गंगा प्रोजेक्ट के दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन है ऐसी कंपनी पर तत्काल आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए। साथ ही उसका लाइसेंस निरस्त किया जाना चाहिए।
प्रदीप टम्टा ने अंकिता भंडारी प्रकरण पर सरकार को घेरते हुए कहा कि अंकिता को किसी बड़े वीआईपी के साथ सम्बंध बनाने को कहा जाता है और जब उसने ऐसा नहीं किया तो उसकी हत्या कर दी जाती है। मेरा सवाल है कि यह गुड गवर्नेंस वाली सरकार उस वीआईपी नेता का नाम उजागर क्यों नहीं करती, क्यों उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं करती। इस पूरे मामले की सीबीआई जांच हो। कहा कि उत्तरकाशी, देवाल कुमाऊँ में भी ऐसी कुछ आपराधिक मामले हुए उत्तरकाशी में दलित बच्ची की हत्या कर दी और सरकार अपनी झूठी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें मुआवजा देने में भी भेदभाव कर रही है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा भर्ती घोटालों में वर्तमान सरकार के एक मंत्री का नाम उजागर होने के बावजूद उसे अभी तक बर्खास्त नहीं किया गया है हमारी मांग है कि ऐसे मंत्री को तत्काल प्रभाव से पद से हटाया जाए ताकि मामले की जांच निष्पक्ष रुप से हो सके। उन्होंने अफसोस जताया कि पूरे आपराधिक घोटालेबाज नेताओं व अफसरों पर शीघ्र कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
उन्होंने कहा कि पर्वतीय खेती के लिए प्रयास नहीं हो रहे हैं । 90 प्रतिशत पर्वतीय भूभाग होने के बाबजूद पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में विषमताएँ बढ़ रही है। कहा कांग्रेस ने उत्तराखंड को विशेष राज्य का जो दर्जा दिया था उसे भी वापस लिया गया है। कहा कि महंगाई ,भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, पलायन और दलितों पर उत्पीड़न के मुद्दों पर सरकार बात नहीं करना चाहती है।
इस मौके पर कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष शांति प्रसाद भट्ट, मुरारीलाल खंडवाल, कुलदीप पवार, विजय गुनसोला, नवीन सेमवाल, मुर्तजा बेग,चंद्रमणि जोशी आदि मौजूद रहे।