विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस पर कार्यशाला आयोजित
देहरादून 17 जून 2023। विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस 2023 के अवसर पर सतत् भूमि प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून ने कार्यशाला का आयोजन किया। इस वर्ष के आयोजन का विषय “उसकी भूमि, उसके अधिकार“ था जो लैंगिक समानता पर केंद्रित हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1994 में 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस‘‘ के रूप में घोषित किया था। प्रत्येक महाद्वीप और प्रत्येक महासागर में पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली दशक घोषित किया है। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून द्वारा स्थापित सतत् भूमि प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र का उद्दे्श्य भारत और दक्षिण-दक्षिण देशों के लिए भूमि क्षरण के मुद्दों पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करना व सतत् भूमि प्रबंधन प्रथाओं को विश्व स्तर बढ़ावा देना हैं।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री सी. पी. गोयल, वन महानिदेशक और विशेष सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने उद्घाटन भाषण में मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम, जन अकांक्षाओं के आधार पर भूमि क्षरण की समस्या का समाधान मजबूत सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से करने पर जोर दिया।
श्री अरूण सिंह रावत, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प.,ने अपने सम्बोधन में बताया कि विश्व स्तर पर लगभग 25ः भूमि क्षेत्र का क्षरण हुआ हैं जिससे 3.2 बिलियन लोग प्रभावित हुए हैं। उन्होंने विशाल मानवजनित दबाव के कारण भूमि संसाधनों के क्षरण से उत्पन्न हुए समस्याओं के वैज्ञानिक एवं सामूदायिक भागीदारी से समाधान करने पर जोर दिया । उन्होंने लैंगिक समानता और स्थायी भूमि प्रबंधन मुद्दों के लिए एक आम योगदान के साथ महिलाओं एवं लड़कियों के लिए अग्रिम भूमि अधिकारों का समर्थन करने का सुझाव दिया।
इस अवसर पर भारत की नारी शक्ति श्रीमती जमुना टुडू (पद्म श्री) झारखण्ड, श्रीमती बसंती देवी (पद्म श्री) उत्तराखण्ड, और श्रीमती सुधा एस (आईएफएस) को महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प., के द्वारा सम्मानित किया गया। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मनित अतिथियों ने झारखंड के वन संरक्षण और उत्तराखंड में कोसी नदी के पुनरुद्धार में अपने अनुभव साझा किए। श्रीमती सुधा एस (आईएफएस) ने लैंडस्केप बहाली के लिए भूमि उपयोग योजना और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन पर व्याखयान दिया।
इसके पश्चात डॉ. आर.एस. रावत, वैज्ञानिक, भा.वा.अ.शि.प., ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सतत् भूमि प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ाने के लिए महिलाओं की भागीदारी पर अपने अनुभव साझा किये। डॉ. विवेक सक्सेना (आईएफएस) उत्तर प्रदेश वन विभाग, ने अरावली पर्वत और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा की। आईयूसीएन की डॉ. अर्चना चटर्जी ने वन परिदृश्य बहाली में महिलाओं की भूमिका और योगदान पर अपना विचार व्यक्त किये। यूएनसीसीडी के प्रतिनिधि डॉ. ईश्वर नारायणन, ने हर लैंडः ग्लोबल इनसाइट्स एवं श्रीमती श्रुति शर्मा, पूर्व मूख्य वन संरक्षक राजस्थान सरकार, ने पारिस्थितिकी बहाली और सूखा प्रतिरोध पर विचार व्यक्त किये।