नई शराब पॉलिसी से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी होगी: शांति प्रसाद भट्ट
🔹 निजी घरों में 50 लीटर शराब/बार खोलने के
लाइसेंस का हो व्यापक विरोध।
🔹 किसी को तो टिंचरी माई (दीपा नौटियाल) के
अवतार में उतरना होगा ।
🔹 टिहरी में 1970/71 में हुए शराब विरोधी जन
आंदोलन के गीतों को दोहराना होगा :
- चला दीदी चला भुल्यो।
- गौ बचौण जोला ।।
- दारू कू यूं दैंत लगूं ।
- तै दैंत हटौला ।।
टिहरी गढ़वाल 8 अक्टूबर। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी नीति 2023-24 के तहत घर में ही बार खोलने के लिए लाइसेंस दिया जा रहा है, इसके तहत कोई भी अपने घर में बार बनाकर 50 लीटर शराब रख सकता है। इसके लिए सरकार की ओर से लाइसेंस जारी करने शुरू कर दिए है, हालांकि नई आबकारी नीति 2023-24 कुछ समय पहले ही लागू हो चुकी है, लेकिन इस नीति के तहत घर पर भी बार खोलने का पहला लाइसेंस अब जारी हुआ है। इसके लिए फीस चुकानी होगी और कुछ शर्तों को भी मानना होगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक आबकारी नीति के अनुसार प्रक्रिया पूरी कर व्यक्तिगत उपयोग के लिए पहला लाइसेंस जारी कर दिया गया है। बार लाइसेंस के लिए प्रति वर्ष 12 हजार रुपये फीस देनी होगी और एक निश्चित मात्रा में भारत में *निर्मित शराब 9 लीटर और विदेशी मदिरा (इम्पोर्टेड) 18 लीटर, वाइन 9 लीटर और बीयर 15.6 लीटर रखने की* *अनुमति दी जाती* *है* । नियम के अनुसार लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति को इसके लिए प्रतिवर्ष 12000 रुपए फीस देनी होगी।
उत्तराखंड की माता बहनों ने अनेकों शराब विरोधी आंदोलन किए है, पौड़ी गढ़वाल की दीपा नौटियाल जिन्हें टिंचरी माई के नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने शराब की दुकान ही फूक डाली थी ,1970/71 के दशक में टिहरी गढ़वाल में भी सुंदर लाल बहुगुणा जी, घनश्याम सैलानी, धूम सिंह नेगी, भवानी भाई, कुंवर प्रसून, सुशीला गैरोला, विमला बहुगुणा, कादंबरी सकलानी आदि ने ब शराब के विरोध बड़ा जन आंदोलन चलाया था । उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के दौरान भी पुरानी टिहरी तीन धारा के निकट पेट्रोल पंप के सामने की शराब की दुकान को आग लगा दी थी। और जब यह मामला एक मजिस्ट्रेट के पास गया तो उनकी पहली टिप्पणी थी “शराब की ही दुकान जलाई कोई अमृत की तो नही”
शराब को अत्यधिक प्रश्रय देने के लिए भाजपा सरकार की जितनी निंदा की जाए वह कम ही है। इस आबकारी नीति से महिला हिंसा बढ़ेगी, घर में ही शराब का स्टॉक होगा तो गृहक्लेश बढ़ेगा। और न जाने कितनी महिलाएं इसका शिकार होंगी।
उतराखड कांग्रेस व्यापक जनहित में सरकार की नई आबकारी नीति के विरोध में व्यापक जन आंदोलन की रणनीति पर काम कर रही है।