जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए जन जागरुकता आवश्यक
ऋषिकेश 6 मार्च। पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश मैं आयोजित “जलवायु परिवर्तन परिणाम एवं चुनौतियां” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन 3 तकनीकी सत्रो का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन परिसर के निदेशक प्रो महावीर सिंह रावत द्वारा आज होने वाली तकनीक सत्रो का शुभारंभ करते हुए कहा विश्वविद्यालय परिसर भूगोल विभाग द्वारा आयोजित इस सेमिनार में जितने भी शोध पत्र पढ़े जाएंगे उनसे भविष्य में उत्तराखंड के लिए नीति निर्धारित करने में सहायक होंगे,और आने वाले शोधार्थियों-छात्रों को उनसे शोध करने में प्रेरणा मिलेगी और भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में कार्य करेंगे जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन तंत्र का निर्माण/जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जल संसाधनों का प्रबंधन विषय पर शोध पत्रों का वाचन किया गया इसकी अध्यक्षता प्रो एस.के. बंदूनी एवं मुख्य वक्ता मिजोरम विवि के प्रो. वी पी सती द्वारा जलवायु परिवर्तन से आपदाओं के न्यूनीकरण पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस तकनीकी सत्र में22 शोध पत्र का वाचन किया गया चौथा तकनीकी सत्र जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने/कृषि और बागवानी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन करने के लिए आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करना विषय पर शोध पत्रों का वाचन किया गया इसकी अध्यक्षता डॉ। वी.पी. सती एवं मुख्य वक्ता गढ़वाल वि वि के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. मोहन पंवार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से पर्वतीय भागों में जल स्रोत घट रहे हैं, जो एक गंभीर समस्या है। विषय पर शोधार्थियों को संबोधित किया इस तकनीकी क्षेत्र में 28 शोधपत्रों का वाचन किया गया पाँचवाँ तकनीकी सत्र सार्वजनिक नीति ढांचे का संचालन: मुद्दे, चुनौतियाँ और कार्यान्वयन रणनीतियाँ। विषय पर शोध पत्रों का वाचन किया गया मुख्य वक्ता प्रोफेसर एस.के. बंदूनी ने अपने संबोधन करते हुए कहा पानी रखो आंदोलन धार, खाल, नोलो का संरक्षण भूमिगत जल वृक्षारोपण पर विस्तृत चर्चा की इस तकनीकी सत्र में 32 शोध पत्रों का वाचन किया गया दो दिवासिया सेमिनार में जलवायु परिवर्तन के परिणाम एवं चुनौतियां विषय पर करीब 100 से शोध पत्र पढ़े गए। परिसर में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। बुधवार को समापन अवसर पर सेमिनार के संयोजक डा. दिनेश चंद्र गोस्वामी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के निराकरण के लिए जन जागरुता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसके लिए जनजागरुता अभियान की आवश्यता है। जो कि एक जनांदोलन के रूप में प्रचारित प्रसारित हो सके। समापन समारोह में सभी का धन्यवाद करते हुए विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रो गुलशन कुमार ढींगरा ने प्रदेश एवं देश के विभिन्न विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, शोध संस्थानो से आए शोधार्थी,प्रोफेसर,विषय विशेषज्ञ का आभार व्यक्त कियाऔर कहा यहां विश्वविद्यालय के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि हैऔर इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए सेमिनार का समापन प्रमाण पत्र वितरण के साथ संपन्न हुआ समापन समारोह की अध्यक्षता परिसर के निदेशक प्रो महावीर सिंह रावत द्वारा की गई तकनीकी सत्रो का समन्वय एवं संचालन प्रो अरुणा सूत्रधार, प्रोफेसर अंजनी प्रसाद दुबे इस अवसर पर डॉ विजय बहुगुणा प्रो. आर डी गौड़,प्रो. ए के पाल प्रो.बी के पंत प्रो.पी के सिंह प्रो. एस के बंसल, प्रो. संगीता मिश्रा, प्रो पूनम पाठक, प्रो पुष्पांजलि आर्य, प्रो हेमलता मिश्रा, प्रो परवेज अहमद , प्रो स्मृति बडोला, प्रो वी के गुप्ता, प्रो धर्मेंद्र तिवारी प्रो अनीता तोमर, प्रो विद्या दत्त पांडे, डा. केदार सिंह, शोध छात्र आदि मौजूद रहे।