घोर द्ग्डियों जंगऴु तैं बचालु कु
हवा भी खाणीं छैं
पाणीं भी पेणीं छैं
फल फूल भी चखणी छै
पर घोरदग्डिया जंगल बचालु कु
बुरासा की रैमोढी खाणी छैं
गुराऴ कू अचार खाणी छैं
कंडी पता कु स्वाद भी लेणीं छै
पर घोरदग्डिया जंगलू तैं बचालू कु
कोयल की कुक बिन सुनताऴ ह्वैया जगऴ
पोथलौ का घोल फुंकी फाकीं राजा कु लगोठी यार उ जगऴ
जब अपणें घर का विभीषण
देवतो की भुमि जऴोणा
त तुमी बता घोरदग्डियो यु जगऴु तें बचालु कु
कै पाखी मां भुमि भुम्याऴ
अर उ देवता रम्या छन
कै ढुंगो की कुडी भाडीं मा उकीं कुडी भांडी सजायी छैं
पर जब आग लगादारा असुर तैं तुम सबासी देणा बल
त तुम ही बाता जंगल तैं बचालू कू
युं देवतो तैं न सरकारी राशन नसीब छै
न ही दाऴ लोण तैल अर बिचारों तैं पैंसन नसीब भैं
फिर भी हमार भुख तीस मिटोणक तैयार बारामासीं भै
पर घोरदग्डियो अबरी कि घडी जंगऴु तैं बचालु कु।