धूमधाम से मनाया रक्षाबंधन: धार्मिक उल्लास और परिवारिक प्रेम की झलक
टिहरी जनपद में रक्षाबंधन का पर्व इस वर्ष अत्यंत धूमधाम और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया। सुबह से ही बाजारों में रक्षाबंधन की तैयारियों की झलक देखी गई। रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानों पर महिलाओं और बच्चों की भीड़ उमड़ी रही, जो त्योहार की खुशी और उल्लास को दर्शाता था। बाजारों में राखियों की खूबसूरत डिजाइन और वैरायटी ने पर्व की रौनक को और भी बढ़ा दिया।
हर घर में रक्षाबंधन की विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर बहनों ने भाई की आरती उतारी, उन्हें तिलक किया और मिठाई खिलाकर उनके स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना की। राखी बांधने के दौरान, बहनों ने “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल: श्लोक बोलते हुए राखी बांधी। राखी के इस मंत्र का अर्थ है-जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा। हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। उसी प्रकार बहन अपने भाई की सुरक्षा का वचन देती है। यह श्लोक भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और सुरक्षा की भावना को प्रकट करता है।
भाइयों ने भी इस पवित्र बंधन की गरिमा को बनाए रखते हुए अपनी बहनों को उपहार देकर उनकी ममता और प्रेम का आदर किया। उपहारों के माध्यम से भाइयों ने बहनों को यह विश्वास दिलाया कि वे उनके साथ हर परिस्थिति में खड़े रहेंगे।
रक्षाबंधन का पर्व केवल एक पारंपरिक अवसर नहीं बल्कि परिवारों में आपसी प्रेम, सौहार्द्र और एकता को प्रगाढ़ बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन के माध्यम से भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती और उनकी परस्पर सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलता है। यह पर्व परिवारों और समाज में स्नेह, सहयोग और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करता है, जिससे रिश्तों में गहराई और स्थिरता आती है।