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बमण गांव में आज भी ज़िंदा है सदियों पुरानी परंपरा

बमण गांव में आज भी ज़िंदा है सदियों पुरानी परंपरा
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2 से 10 नवंबर तक बमण गांव में होगा नौरता (मंडाण) का विशाल आयोजन

टिहरी गढ़वाल 20 अक्टूबर 2024 । देवभूमि उत्तराखंड अपनी विशेष रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि बदलते समय और परिस्थितियों के चलते पहाड़ों की पौराणिक परंपराएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं, लेकिन कई क्षेत्र और गांव अपनी पौराणिक परंपराओं को जिंदा रखने का काम कर रहे हैं। विकासखंड नरेंद्रनगर स्थित पट्टी क्वीली न्याय पंचायत के मण गांव में ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिलता है।

बमण गांव में हर तीन वर्ष के अंत में नौ दिनों तक पंडों नृत्य नौरता (मंडाण) का आयोजन सदियों से किया जा रहा है। पिछले 600 वर्षों से चली आ रही यह परंपरा, नौरता (मंडाण) के साथ अपने कुल/ईष्ट देवी-देवताओं का स्मरण और आवाह्न करते हुए, ढोल दमाऊ की थाप पर मनाई जाती है। इस आयोजन में गांव के अलावा क्षेत्र के लोग भी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।

आज पंडित मनोहरी लाल बिजल्वाण की अध्यक्षता में नौरता (मंडाण) की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में नौरता (मंडाण) के आयोजन हेतु संरक्षण मंडल और संचालन समिति का गठन किया गया।

संरक्षक मंडल में पीताम्बर दत्त बिजल्वाण, मनोहरी लाल बिजल्वाण ,गोविन्द राम बिजल्वाण, हर्षमणि बिजल्वाण, मूर्ति सिंह रावत, भगवती प्रसाद बिजल्वाण, दर्शन लाल बिजल्वाण तथा संचालन समिति में संयोजक: दिनेश बिजल्वाण (प्रधान बमण गांव), ईश्वरी प्रसाद बिजल्वाण (पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख नरेंद्र नगर) अध्यक्ष: दीपक बिजल्वाण, सचिव: शक्ति प्रसाद बिजल्वाण, कोषाध्यक्ष: नरेंद्र बिजल्वाण शामिल हैं।

कार्यक्रम 2 नवंबर से शुभारंभ होगा, जिसमें पंचम दिवस 6 नवंबर को (ध्वज, कुंती माता, पंडों का आवाह्न) और अष्टम दिवस 9 नवंबर को तीर्थ स्नान हेतु लोगों का प्रस्थान होगा। 10 नवंबर को यज्ञ की समाप्ति होगी।

इस यज्ञ की मीटिंग और रूपरेखा तय करने के अवसर पर उपस्थित लोगों में विनोद बिजल्वाण, विजय प्रकाश बिजल्वाण, जितेन्द्र सजवाण, अशोक बिजल्वाण, ईश्वरी बिजल्वाण, राजेन्द्र बिजल्वाण, पूर्ण सिंह राणा, अनिल किशोर बिजल्वाण, युद्धविर सिंह रावत, संदीप बिजल्वाण, विजेंद्र रावत, महावीर प्रसाद, हुक्म दास, भगतू दास, संजू दास, कृष्ण दास, और भवानी दास शामिल रहे।

इस तरह, बमण गांव की यह परंपरा न केवल स्थानीय संस्कृति को संजोए हुए है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।


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Govind Pundir

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