उत्तराखंड के जंगलो से चीड़ को समाप्त करने को मुहिम आवश्यक – सुशील बहुगुणा
नई टिहरी। उत्तराखंड के जंगलों सर चीड़ की प्रजाति को समाप्त करने के लिए मुहिम शुरू करने की जरूरत है। पहाड़ों मे चीड़ ब्रिटिशर्स की देन है। चीड़ अपने आसपास किसी दूसरी प्रजाति के पेड को पनपने नही देता है और वर्तमान मे हमारे वनो का अधिकतर भू भाग चीड़ से आच्छादित है । जिसके कारण एक तो पर्यावरण असंतुलन पैदा हो गया है साथ ही चीड़ के कारण भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है ।
यह बात आज हरेला पर्व पर राड्स संस्था के अध्यक्ष व भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के जिला संयोजक सुशील बहुगुणा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कही।
बहुगुणा का कहना है कि वन विभाग के द्वारा हर साल करोड़ो की संख्या मे अन्य प्रजाति के पौधों का वृक्षारोपण किया जाता है पर चीड़ के कारण एक तो यह पौधे पनप नही पाते और दूसरे क्षेत्र मे अगर इनको पनपाया भी जाय तो चीड़ के कारण आग लग जाने पर यह भी जलकर खत्म हो जाते हैँ।
उन्होंने पर्यावरणविदों से आग्रह किया है कि वह पहाड़ के जंगलों से चीड़ को समाप्त करने की मुहिम चलाने के लिये हस्ताक्षर अभियान चलाएं। कहा कि अगर पहाड़ों से चीड़ को समाप्त नही किया तो इसके परिणाम भयावह होंगे जो अभी से दिखने लगे हैं । जिसका उदाहरण हिमस्खलन आदि है ।
हरेला पर्व के अवसर संस्था राड्स के द्वारा दियूरी क्षेत्र मे चारे व फलदार पेड़ों का पौधरोपण किया गया । इस अवसर पर युवक मंगल दल के भगवती प्रसाद सकलानी, लक्ष्मी उनियाल,आशा, मनीष ,शिवा, अनुराग ,कुम्भी आदि उपस्थिति थे।