Shiv Puran katha Day-7: बच्चे संस्कारवान होंगे तभी भारत विश्व गुरु बनेगा-डॉ दुर्गेश आचार्य
सातवें दिन गणेश उत्पति की कथा सुनाई
टिहरी गढ़वाल 16 सितम्बर। बौराड़ी स्टेडियम में शिव महापुराण कथा के सातवें दिन व्यासपीठ से राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेश आचार्य जी ने गणेश उत्पति की कथा सुनाते हुए कहा कि शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान से पूर्व शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया था। स्नान से पहले उन्होंने उबटन उतारा और इससे एक पुतला बना दिया और उसमें प्राण डाल दिए।
इतने में वहां भगवान शिव आए और कहा कि उन्हें पार्वती जी से मिलना है। द्वारपाल बने भगवान गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसके बाद शिवगणों और भगवान गणेश के बीच भयंकर युद्ध किया लेकिन कोई भी उन्हें हरा नहीं सका फिर क्रोधित शिवजी ने अपने त्रिशूल से बालक गणेश का सिर काट डाला। जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो रोने लगीं और प्रलय करने का निश्चय कर लिया। इससे देवलोक भयभीत हो उठा फिर देवताओं ने उनकी स्तुति कर उन्हें शांत किया।
इसके बाद भगवान शिव ने गरुड़ जी से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सो रही हो उस बच्चे का सिर ले आओ। गरुड़ जी को काफी देर बाद तक ऐसा कोई नहीं मिला। अंततः एक हथिनी नजर आई। हथिनी का शरीर ऐसा होता है कि वो बच्चे की तरह मुंहकर नहीं सो सकती। तो गरुड़ जी उस शिशु हाथी का सिर काट कर ले आए। शिव ने उसे बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। बोलो हर हर महादेव।
अब पार्वती उसे पुनः जीवित देख बहुत खुश हुई और तब समस्त देवताओं ने बालक गणेश को आशीर्वाद दिए। भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत अगर गणेश पूजा से होगी तो वो सफल होगा।
आगे कहा कि भारत माता की हर मां अपने बच्चों को संस्कार देती है। यही कारण है कि इस धरती पर भगवान, राम , कृष्ण ,भगत सिंह, चंद्र शेखर आदि तमाम आदर्श पुरूष पैदा1हुए हैं। इसलिए अपने बच्चों को संस्कार दीजिए। तभी हिन्दू राष्ट्र विश्व गुरु बनेगा।