Ad Image

भारत की प्राचीन आयुर्वेद पद्धति से कैंसर का इलाज संभव : प्रो० राणा प्रताप सिंह

भारत की प्राचीन आयुर्वेद पद्धति से कैंसर का इलाज संभव : प्रो० राणा प्रताप सिंह
Please click to share News

ऋषिकेश 19 जुलाई 2024। पंडित ललित मोहन शर्मा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग के तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद प्रेक्षाग्रह कैंसर रोग पर एक व्याख्यान आयोजित हुआ जिसका विषय “Revolutionizing Cancer Control: Innovative Strategies for a Healthier Future” था।
इस व्याख्यान के मुख्य अतिथि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के भूतपूर्व प्रो-वाईस चांसलर वह वर्तमान में स्कूल ऑफ साइंस व कैंसर बायोलॉजी के प्रोफेसर (डॉ) राणा प्रताप सिंह रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में कैंसर के कारण तथा उसमें अब तक हुए शोधों के बारे में विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने बताया की आज के समय में 40% बीमारियां गलत खानपान तथा इसमें लापरवाही के कारण होती है।अल्जाइमर, मधुमेह जैसी बीमारियां धीरे-धीरे एक जटिल समस्या बनती जा रही है, एशिया में कैंसर की समस्या लगभग 50% तक है । उन्होंने प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक पद्धति में कैंसर को ठीक करने की प्रक्रिया उल्लेखित है तथा इसके साथ ही उन्होंने कैंसर होने के लक्षणों तथा विभिन्न कारकों के बारे में बताया जिसमें पर्यावरणीय प्रदूषण, रेडिएशन जैसे कारक तथा खाद्य पदार्थों में कीटाणु नाशक रासायनों का अत्यधिक प्रयोग है l भारत में तंबाकू के द्वारा होने वाले कैंसर में 30% मुंह के कैंसर के शिकार हुए लोग हैं l
उन्होंने आजकल कैंसर निदान में प्रयुक्त होने वाली कीमो प्रिवेंशन तकनीकी की जानकारी दी l

इस कार्यक्रम के अध्यक्ष पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर, ऋषिकेश के निदेशक प्रो एम एस रावत ने प्रो० राणा प्रताप सिंह का परिसर में आने तथा छात्र-छात्राओं को इस महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान देने के लिए उनका स्वागत तथा धन्यवाद ज्ञापन किया उन्हें बताया कि आज के समय में कैंसर एक आम समस्या बनती जा रही है जो की बहुत गंभीर विषय है।

कार्यक्रम संयोजक तथा मेडिकल मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग के समन्वयक प्रो० गुलशन कुमार ढींगरा ने बताया कि प्रो. राणा पी. सिंह, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व प्रो-वाइस चांसलर हैं। वर्तमान में वे स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज (जेएनयू) में निदेशक-विशेष चिकित्सा और कैंसर जीवविज्ञान के प्रोफेसर हैं। उनके पास 24 वर्षों से शिक्षण और 30 वर्षों का शोध अनुभव है। वर्तमान में वे कोलोराडो विश्वविद्यालय, यूएसए (2023) में प्रोफेसर हैं। इसके अलावा, उन्होंने शैक्षणिक गतिविधियों के लिए 8 देशों का दौरा किया है। उन्होंने 22 पीएचडी, 13 एम.फिल. और कई एम.एससी. छात्रों का पर्यवेक्षण किया है। प्रो. सिंह ने 183 सहकर्मी-समीक्षित जर्नल लेख और 145 से अधिक सम्मेलन प्रकाशन/प्रस्तुतियां प्रकाशित की हैं। प्रो. सिंह कैंसर की रोकथाम और चिकित्सा के क्षेत्र में अपने शिक्षण और अनुसंधान योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनके कार्य क्षेत्रों में ट्यूमर विषमता, कैंसर स्टेम सेल, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी प्रतिरोध, ट्यूमर एंजियोजेनेसिस, सेल चक्र और सेल सिग्नलिंग, माइक्रोग्रैविटी और कैंसर शामिल हैं। उन्हें जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, यूएसए (2024) में वरिष्ठ बायोमेडिकल वैज्ञानिकों के लिए आईसीएमआर इंटरनेशनल फेलोशिप से सम्मानित किया गया है; उन्हें जेएनयू और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए (2019) के बीच “सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव कैंसर बायोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स” (वीएनसी) की स्थापना के लिए इंडो-यूएस साइंस टेक्नोलॉजी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) से पुरस्कार मिला है। प्रो. सिंह कई प्रशासनिक और शैक्षणिक समितियों और पेशेवर निकायों के सदस्य/अध्यक्ष रहे हैं।
अंत में इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो संगीता मिश्रा द्वारा सभी प्रतिभागियों एवं मुख्य अतिथि का धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
इस कार्यक्रम में डॉ प्रीति खंडूड़ी द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया।
इस मौके पर परिसर के समस्त विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories