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पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों का प्रभावी उपयोग करके पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता -डीडीओ

पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों का प्रभावी उपयोग करके पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता -डीडीओ
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जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और पारंपरिक पद्धतियों से संरक्षण पर कार्यशाला आयोजित

टिहरी गढ़वाल 11 अक्टूबर 2024। डालियों का दगड़िया संस्था (डीकेडी) ने टीडीएच जर्मनी, राड्स, और माउंट वैली डेवलेपमेंट संस्थान के सहयोग से न्यू टिहरी प्रेस क्लब में एक जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया।

कार्यशाला का उद्देश्य सतत विकास और हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर चर्चा करना था। इस दौरान विशेषज्ञों ने जोर दिया कि पारंपरिक पद्धतियों को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण और जलवायु के साथ तालमेल बिठाया जा सकता है।

जिला विकास अधिकारी मोहम्मद असलम ने कहा कि पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों का प्रभावी उपयोग करके पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने मनरेगा योजना के तहत अमृत सरोवर, पारंपरिक जल स्रोतों का संवर्द्धन और पौधारोपण जैसे प्रयासों की चर्चा की।

कृषि विज्ञान केंद्र रानीचौरी के प्रभारी डॉ. आलोक यावले ने किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं जैसे किसान सम्मान निधि, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, और फसल बीमा का उल्लेख करते हुए बताया कि इनसे किसानों को आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता प्राप्त हो रही है।

डीकेडी के सचिव डॉ. मोहन सिंह पंवार ने बताया कि संस्था जाखणीधार ब्लॉक के 15 गांवों में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि और संसाधन प्रबंधन पर काम कर रही है। इस परियोजना में बीएमजेड जर्मनी और टीडीएच का सहयोग है।

कार्यक्रम में हितायु के सचिव दिवाकर पैन्यूली, धारकोट की प्रधान निवेदिता परमार, जगदीश बडोनी और अन्य ग्रामीण नेताओं ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने जंगली जानवरों से फसलों की रक्षा और वन संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस अवसर पर पर्यावरण एवं जन विकास समिति के अध्यक्ष जयवीर रावत, भगवान सिंह, आशाराम ममगाईं, विजय लक्ष्मी, ममता देवी सहित कई अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने भी भाग लिया।

कार्यक्रम के अंत में कार्यशाला में मौजूद सभी लोगों को प्रेस क्लब अध्यक्ष/महामंत्री द्वारा स्मारिका “उमंग” की प्रतियां भेंट की गई।


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Govind Pundir

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