ढोल-दमाऊ प्रशिक्षण एवं साउंड ट्रैक निर्माण कार्यशाला का सफल समापन
टिहरी गढ़वाल, 4 फरवरी 2025 । जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) नई टिहरी में 31 जनवरी से 4 फरवरी 2025 तक आयोजित ढोल-दमाऊ प्रशिक्षण एवं साउंड ट्रैक निर्माण कार्यशाला का आज भव्य समापन हुआ। संस्थान की प्राचार्य श्रीमती हेमलता भट्ट ने सभी प्रतिभागियों का उत्साहपूर्वक प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पहाड़ की पारंपरिक लोक विधाओं एवं संस्कृति को संजोए रखना है, और इसे भविष्य में भी जारी रखा जाएगा।
पारंपरिक लोकवाद्य प्रशिक्षण से मिला नई पीढ़ी को संरक्षण का संदेश
पांच दिवसीय इस कार्यशाला में टिहरी गढ़वाल के 9 विकासखंडों के माध्यमिक विद्यालयों से 9 शिक्षकों एवं 18 छात्रों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को प्रसिद्ध ढोल वादक श्री उत्तम दास एवं श्री कुलदीप द्वारा ढोल-दमाऊ की पारंपरिक तालों जैसे धुयांल, देवी नृत्य, रासौं, बढ़ै ताल आदि का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा, श्री रमेश द्वारा मसकबीन वादन की बारीकियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया गया। कार्यशाला में विद्यालयों की प्रार्थना सभाओं को और भव्य एवं आकर्षक बनाने के लिए बहुभाषी गीत रचना एवं संगीत संयोजन पर भी कार्य किया गया। अब तक संस्थान द्वारा 22 साउंड ट्रैक तैयार किए जा चुके हैं, जो गढ़वाली, संस्कृत, हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी, कन्नड़ आदि भाषाओं में निर्मित किए गए हैं। इन ट्रैकों का उपयोग उत्तराखंड के विभिन्न विद्यालयों की प्रार्थना सभाओं में किया जा रहा है।
साउंड ट्रैक निर्माण में सुमंत पंवार, आशा भट्ट, सुनीती थापा, बबीता थपलियाल, जयकृष्ण पैन्यूली, प्रवीन, रंजीत, ललित तथा तनुज ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
कार्यक्रम का संयोजन श्री नरेश चंद कुमाईं, विनोद पेटवाल, डॉ. वीर सिंह रावत, डॉ. मनवीर सिंह नेगी, आनंद सिंह नेगी, दिनेश चंद रमोला, शशि भूषण सेमवाल, परमवीर कठैत, जगदंबा प्रसाद डोभाल, मदन मोहन सेमवाल एवं रजनीश नौडियाल द्वारा किया गया।
इस कार्यशाला ने पहाड़ी लोकसंस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने एवं विद्यालयी शिक्षा में संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका को स्थापित करने की दिशा में एक प्रभावी कदम उठाया है।