भूमि प्रबंधन हेतु कृषि वानिकी प्रजातियों की खेती पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न

श्रीनगर (गढ़वाल), 25 सितम्बर 2025। विस्तार प्रभाग, आईसीएफआरई–वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा “भूमि प्रबंधन हेतु कृषि वानिकी प्रजातियों की खेती” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण (23 से 25 सितम्बर, 2025) का सफल आयोजन हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, उत्तराखंड में किया गया। यह प्रशिक्षण CAMPA-विस्तार–वन विज्ञान केंद्र परियोजना के अंतर्गत आयोजित हुआ।
प्रशिक्षण का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्री प्रकाश सिंह ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि एग्रोफॉरेस्ट्री न केवल भूमि प्रबंधन और पारिस्थितिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह किसानों के लिए सतत आय और आजीविका के अवसर भी सुनिश्चित करती है।
तीन दिवसीय तकनीकी सत्रों में वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून एवं एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को एग्रोफॉरेस्ट्री के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। विषय विशेषज्ञों ने बताया कि यह पद्धति मृदा संरक्षण, ईंधन, चारा, लकड़ी, खाद्य एवं गैर-काष्ठ वनोपजों की उपलब्धता सुनिश्चित करती है और व्यावसायिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी है। साथ ही कीट एवं फफूंद संक्रमण से फसलों और वृक्षों की सुरक्षा संबंधी आधुनिक तकनीकों की जानकारी भी दी गई। ये व्याख्यान शोध निष्कर्षों और उत्तराखंड सहित हिमालयी राज्यों के केस स्टडी पर आधारित रहे।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय की नर्सरी का भ्रमण कराया गया, जहां उन्होंने विभिन्न उपयोगी प्रजातियों जैसे ईंधन, चारा, खाद्य, लकड़ी और गैर-काष्ठ वनोपजों की पौध तैयार करने की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से समझा।
इस प्रशिक्षण में 60 से अधिक प्रतिभागियों—महिला कृषकों, स्वयं सहायता समूहों और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में विस्तार प्रभाग, आईसीएफआरई की टीम — डॉ. चरण सिंह, श्री लोकिंदर शर्मा, श्री पवन देवशाली, श्री नवीन, श्री अमित सिंह तथा वन अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों ने, विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीम — प्रो. ए. के. नेगी, डॉ. डी. एस. चौहान, डॉ. आर. एस. नेगी, डॉ. एल. एस. कंडारी और डॉ. (सुश्री) हिमशिखा गोसाईं के सहयोग से सराहनीय योगदान दिया।