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क्वारेन्टीन में मालू के पत्तल बनाने में व्यस्त अधिकारी, पढ़िए पूरी खबर

क्वारेन्टीन में मालू के पत्तल बनाने में व्यस्त अधिकारी, पढ़िए पूरी खबर
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काम करने वाले अधिकारियों को कोई भी बंदिश बांध नहीं सकती

गढ़ निनाद न्यूज़ * 8 मई 2020

नई टिहरी: दशकों से उत्तराखंड में धार्मिक कार्यक्रमों और विशेष तौर से शादी-विवाह में मालू के पत्तों का उपयोग होता रहा है। यह औषधीय गुणों से युक्त है। वैज्ञानिकों व चिकित्सकों का कहना है कि पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिहाज से जहां थर्माकॉल हानिकारक है, वहीं मालू के पत्ते, फूल व छाल औषधीय गुणों से भरपूर हैं। ‘मालू’ को हिंदी में ‘लता काचनार’ कहा जाता है। यह उत्तराखण्ड के पहाडी क्षेत्रों में पाये जाने वाला बहुमूल्य लता रूप का पौधा है।

दरअसल मालू का जिक्र मैं यहां एकाएक इसलिए भी कर रहा हूँ कि जहां आजकल लॉक डाउन के चलते लोग घरों में कैद हैं, वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपने हुनर का इस्तेमाल कर रहे हैं। मैं अपने एक पहाड़ी अधिकारी की बात कर रहा हूँ, जो आजकल 9 दिनों से होम क्वारेन्टीन में हैं। यह अधिकारी घर पर मालू के पत्ते के पत्तल बनाने में मशगूल हैं।

जी हां ऐसा ही उदाहरण नगर पालिका चंबा के अधिशासी अधिकारी एसपी जोशी द्वारा अपने कार्य से साबित किया है। जोशी जी मोबाइल वीडियो कॉलिंग से पालिका के सभी कर्मचारियों को निर्देशित एवं कंट्रोल कर रहे हैं और पालिका के किसी भी कार्य में शिथिलता नहीं आने दे रहे हैं। आज उक्त अधिकारी को होम क्वारेन्टीन में 9 दिन हो गए हैं परंतु पालिका के सभी कार्यों को सम्पादित करने के लिए मोबाइल वीडियो कॉलिंग से प्रातकाल ही उनके द्वारा पालिका कर्मियों को कार्य बता दिए जाते हैं और सभी अपना कार्य मुस्तैदी से कर रहे हैं।

जोशी का ज्यादातर जीवन मैदानी क्षेत्र में ही बीता है परंतु इनका पहाड़ से गहरा लगाव है। उनके द्वारा पहाड़ों से मालू के पत्ते मंगा कर quarantine time period में खाने के पत्तल बनाए जा रहे हैं। दूरभाष पर वार्ता करने पर उनके द्वारा बताया गया कि ऐसा करने से उन्हें मानसिक बल मिल रहा है और समय भी अच्छा व्यतीत हो रहा है। 

उनका कहना है कि हम धीरे धीरे अपनी पौराणिक मान्यताओं,रीतिरिवाजों को भूलते है रहे हैं। वास्तव में आज आवश्यकता इस बात की है कि युवा वर्ग रोजगार के लिए दर दर भटक रहा है,रोजगार कहीं मिल नहीं रहा है तो ऐसे में स्वरोजगार ही एक ऐसा हथियार है जिससे हमारी संस्कृति के साथ  साथ आर्थिकी भी मजबूत होगी।

जोशी जी ने पहाड़ लौट रहे युवाओं से अपील की है कि आप स्वरोजगार अपनाएं,अपने को और अपने पहाड़ की आर्थिकी को मजबूत बनाने में भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।


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Govind Pundir

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