कविता- “मेरे दोस्त मुझे बूढ़ा होने नहीं देते”
‘मेरे दोस्त मुझे बूढ़ा होने नहीं देते ‘
होते हैं मेरे आसपास ही कहीं,
मुझे समझते और समझाते हैं,
दुखी होता हूँ तो,रोने नहीं देते।
मेरे दोस्त मुझे बूढ़ा होने नहीं देते।
बेफ़िक्री से कहते थे दिल की बात,
लड़कपन की बेवक्त बेवजह मुलाकात,
बहुत याद आते हैं बचपन के दोस्त,
अब रातों को सोने नहीं देते।
मेरे दोस्त मुझे बूढ़ा होने नहीं देते।
कभी गुदगुदाते हैं, संग मुस्कुराते हैं,
मेरी बातों पर कहकहे लगाते हैं,
भटकता हूँ तो रास्ता दिखाते हैं,
आँसुओं को पलकें भिगोनें नहीं देते,
मेरे दोस्त मुझे बूढ़ा होने नहीं देते।
पूछ लेते हैं मेरा पता अनजानों से भी,
ढूँढ लेते हैं, मुझे बिखरी भीड़ में भी,
गुजारना चाहता हूँ कुछ वक्त इनके साथ,
ये बेशकीमती यादों को खोने नहीं देते।
मेरे दोस्त मुझे बूढ़ा होने नहीं देते।
✒️पीताम्बर की कलम से 🙏