नेता: अंदर कुछ बाहर कुछ और- एक
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद न्यूज़* 19 अक्टूबर 2020
नई टिहरी। रचनात्मक और सक्रिय विपक्ष लोकतंत्र की मजबूती का एक महत्वपूर्ण आधार स्तम्भ होता है । आज राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की स्थिति से सभी वाकिफ हैं। प्रादेशिक स्तर पर दिल्ली, पश्चिम बंगाल सहित कुछ क्षेत्रों में मजबूत छत्रिय हैं ।
उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विपक्ष की अकेली दमदार आवाज हैं। वह सरकार के साथ अपनी पार्टी कांग्रेस को भी जगाने का प्रयास करते रहते हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हृदयेश के अलावा सत्तारूढ़ भाजपा के कद्दावर नेता तो दूर स्थानीय पदाधिकारी तक अन्य कांग्रेसियों को ज्यादा भाव नहीं देते।
एक समय उत्तराखंड आंदोलन को अलगाववादी कहने वाले राष्ट्रीय दलों को सिर के बल खड़े होने को विवश करने वाली यूकेडी के क्या हाल हैं!
बेशक सत्ता को झकझोरने के लिए ताकतवर संगठन जरूरी है। लेकिन सबसे जरूरी है, नैतिक बल। दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस इसी मोर्चे पर औंधे मुंह पड़ी है। उत्तराखंड में कांग्रेस ने 10 साल राज ही किया है। जिन मुद्दों को उठाकर कांग्रेस आज खुद को खड़ा करने की कोशिश कर रही है ,अपने कार्यकाल में उसने उनका समाधान क्यों नहीं किया? बल्कि कई समस्याएं तो कांग्रेसी सरकारों की ही देन हैं।