बुधू- ट्रंप की हार, श्यामा निराश
गढ़ निनाद समाचार* 2 दिसम्बर 2020
समय से तेज अपने वायुयान की साउंडप्रूफ खिड़की से बुद्धू को किसी के बुकरा-बुकरी रोने की आवाज सुनाई दी। आवाज कुछ जानी पहचानी महिला की थी। बुधू ने तुरंत ब्रेक लगाये। चतुर नेता की तरह वायुयान ने पलटी खाई । समय के बराबर आकर नीचे देखा सैकड़ों साल पुराने एक महान महल के खंडहर से रोने की आवाज आ रही थी।
ओह राम जी, पहले तो श्यामा बौ (भाभी) का महल है। जिनका उधार तो बहुत पहले चुका दिया गया था, उधार लेने वालों ने। पर श्यामा बौ मानती ही नहीं। वह मानती है कि उधार अभी बाकी है। श्यामा बौ को अमेरिका के ट्रंप जी से बड़ी उम्मीद थी। ट्रंप जी की अमेरिका वालों पर तो उधारी है ही पूरी दुनिया वालों पर है। भारत पर तो उनकी उधारी की कृपा कुछ ज्यादा ही बरसी है। इसलिए यहां से भी नारे निर्यात किए गए, ‘अबकी बार फिर ट्रंप सरकार!’ इससे भारत को बड़ी आय हुई।
पीछे से जुगाड़ू – गुंदाडु भी लगे थे। लगे हाथ राज्यसभा का ही जुगाड़ हो जाए। लेकिन बुरा हो अमेरिका वालों का। उन्होंने ट्रंप जी का उधार मार लिया और तो और उस बेकार कमला को भी जितवा दिया।
बुधू ने श्यामा बौ को सांत्वना दी है कि इस हार का बदला पश्चिम बंगाल में चुकाया जाएगा। ददु जुट गए हैं। 10-15 साल छोटी ममता दीदी से निपटने के लिए। दिल्ली की महारानी से लेकर हैदराबाद के नए नवाब तक सब हमारे साथ हैं। ये अंदर की बात है कि लाल भी, रंग दे बसंती के साथ है।
श्यामा बौ कुछ ढाढस बंदा है, जैसे ठुल्लू बाबा की दवा से कोरोना से डरे लोगों को। चलो कोलकाता चलें।