” खाक हो रहे जलकर जंगल “

” खाक हो रहे जलकर जंगल “
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बाल गीत

कैसे होगा जग का मंगल ,
खाक हो रहे जलकर जंगल !

जड़ी – बूटियाँ हो गई राख ,
चिकित्सा में थी जिनकी धाक ।

फल-फूल घास-पात की डाली ,
कितनी सुन्दर थी ओ पाली !

मेहनत से जो पौध उगाई ,
आग की भेंट चढ़ी वह भाई !

जीव-जन्तु भी बच नहीं पाते ,
कुछ अपंग बन जीवन बिताते ।

आग को लगाने वाला कौन ,
पूछो जब सब होते मौन ।

हम सबके बीच रहता खड़ा ,
होता ढीठ वह बहुत बड़ा ।

पेड़ – पौधे जो धरती के श्रृंगार ,
जलकर हो रहे सब अंगार !

जल के श्रोत सब सूखकर नष्ट ,
यह सब देखकर होता कष्ट ।

इस काम के अपराधी जो ,
कठोर सजा का अधिकारी ओ ।



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Govind Pundir

*** संक्षिप्त परिचय / बायोडाटा *** नाम: गोविन्द सिंह पुण्डीर संपादक: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल टिहरी। उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार। पत्रकारिता अनुभव: सन 1978 से सतत सक्रिय पत्रकारिता। विशेषता: जनसमस्याओं, सामाजिक सरोकारों, संस्कृति एवं विकास संबंधी मुद्दों पर गहन लेखन और रिपोर्टिंग। योगदान: चार दशकों से अधिक समय से प्रिंट व सोशल मीडिया में निरंतर लेखन एवं संपादन वर्तमान कार्य: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान करना।

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