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*हर मरीज़ है, सरकार की ज़िम्मेदारी* बीमारों का इलाज करो, या गद्दी छोड़ो

*हर मरीज़ है, सरकार की ज़िम्मेदारी* बीमारों का इलाज करो, या गद्दी छोड़ो
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नई टिहरी, 8 मई 2021। गनिस। हर मरीज़ है, सरकार की ज़िम्मेदारी। बीमारों का इलाज करो, या गद्दी छोड़ो। आपको लगता है कि यह कोई स्लोगन है, नहीं। वर्तमान कोरोना काल में उत्तराखंड में लड़खड़ाती स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर यह नारा दिया है किशोर उपाध्याय ने।

दरअसल सर्व पक्षीय धरने व उपवास कार्यक्रम में सूबे के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने COVID-19 की घातक बीमारी में सरकार की अकर्मण्यता, संवेदनहीनता और आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुयी प्रवृति को देखते हुए सरकार को इस्तीफा देने को कहा है। उपाध्याय ने कहा कि सरकार पूरे एक साल सोती रही और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिये सरकार ने कोई काम नहीं किया, कोई पहल नहीं की।

अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है, दवाइयां नहीं हैं, बेड्स नहीं हैं, ICUs नहीं हैं, CCUs नहीं हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर ज़ीरो बटा सन्नाटा है। राज्यपाल के कहने पर मरीज़ को एक बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो आम आदमी का क्या हाल होगा? आप सोच सकते हैं।जनता ने भाजपा को इसलिये पूर्ण बहुमत नहीं दिया था कि मरीज को एक साँस देने के लिये उत्तराखंडी दर-दर भटकेंगे?

राज्य के पर्वतीय क्षेत्र की तो हालात और भी ख़राब हैं, पर्वतीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का दम निकला हुआ है और ज़ब तक मरीज़ नीचे मैदानी क्षेत्र में आता है, वहाँ की हालात देखकर वैसे हाई दम तोड़ देता है।

उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने 5 मई को पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री जी को कुछ सुझाव दिये थे, उन्होंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसमें पूर्णकालिक स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त करने का भी सुझाव था। ventilators धूल फांक रहे हैं। फ़्रिज ख़राब हो रहे है और शव गृहों में शव सड़ रहे हैं यह अमानवीयता व संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है और ऐसी सरकार को एक क्षण भी सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। 

उपाध्याय ने कहा स्वास्थ्य मन्त्रालय भ्रष्टाचार का काला महासागर बन गया है, उसके पिछले चार सालों की जांच होनी ज़रूरी है। किशोर उपाध्याय ने कहा कि सरकार में अगर जरा भी लाज-शर्म बची है तो तुरंत त्यागपत्र दे।


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Govind Pundir

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