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प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में, जन आंदोलन की चेतावनी

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मुख्यमंत्री से की समीक्षा की मांग

देहरादून/ टिहरी गढ़वाल, 3 जुलाई। प्राथमिक सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में भेदभावपूर्ण स्थिति से भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ गई है, जिससे विभिन्न सामाजिक संगठनों और जन प्रतिनिधियों ने रोष व्यक्त किया है।

भर्ती प्रक्रिया में एक तरफ एक प्रवेश परीक्षा डीएलएड सत्र 2019-20 के लिए चयनित प्रतीक्षा सूची प्रशिक्षुओं को समान अवसर नहीं दिया गया, वहीं दूसरी तरफ बिना प्रवेश परीक्षा के अन्य राज्यों के निजी संस्थानों से रुपये देकर डीएलएड प्रमाण पत्र धारकों को लाभ देने के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है।

डीएलएड सत्र 2019-20 के प्रवेश परीक्षा से चयनित अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण कोरोना के कारण 18 माह बिलम्ब से प्रारंभ हुआ। द्वितीय सूची (प्रतीक्षा सूची – सं 144) के प्रशिक्षुओं का प्रशिक्षण पूर्ण हो कर 20 जुलाई 2024 तक परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग का है। फिर भी, शिक्षा विभाग ने 15 दिन पूर्व आवेदन की अंतिम तिथि के साथ भर्ती विज्ञप्ति जारी कर दी, जिससे प्रतीक्षा सूची प्रशिक्षुओं को शामिल नहीं किया गया।

विभिन्न सामाजिक संगठनों और जन प्रतिनिधियों ने समय-समय पर शिक्षा मंत्री को लिखा है कि इन प्रतीक्षा सूची प्रशिक्षुओं को भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और प्रदेश महामंत्री आदित्य राम कोठारी ने भी शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन प्रशिक्षुओं को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने को कहा है।

डीएलएड प्रतीक्षा सूची प्रशिक्षु संगठन ने भी आवेदन की अंतिम तिथि 31 जुलाई तक विस्तारित करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, और पूर्व राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोशियारी को ज्ञापन दिया है।

संगठन ने मुख्यमंत्री से इस भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा करने की मांग की है, जिससे अन्य प्रांतों से रुपये देकर डीएलएड प्रमाण पत्र धारकों को लाभ देने की योजना पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि यदि इन प्रशिक्षुओं के साथ न्याय नहीं किया गया तो जन आंदोलन किया जाएगा।


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