गुरु देह नहीं, अपितु तत्व का नाम है – रसिक महाराज
हरिद्वार। गुरु और परमात्मा उभय रूप में एक ही सत्ता हैं। वास्तव में गुरु देह नहीं, अपितु तत्व का नाम है। कामनाओं के सैन्य दल से पराभूत मनुष्य मन जब निराश-हताश अनुभव करता है, उस काल में विवेक-विचार बनकर जो सत्ता हमें आत्मोन्नति के लिए प्रेरित करती है, शास्त्रों ने उसे ही ‘गुरु’ कहा है।
गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक जी महाराज ने प्रातःकाल देश-विदेश से पधारे प्रभु प्रेमियों और साधकों के साथ कलयुग के प्रधान देवता त्रैलोक्य गुरु भूतभावन भगवान मृत्युंजय पारदेश्वर एवं लक्ष्मी नृसिंह का पूजन-अभिषेक करते हुए परम कृपालु गुरुसत्ता और भगवान श्रीदत्त की पादुकाओं को नमन किया।
गुरुपूर्णिमा उत्सव के क्रम में पूज्य महाराज जी ने सर्वप्रथम नृसिंह वाटिका आश्रम में आत्मलिंग की पूजा-अर्चना की। इसके अनन्तर आश्रम में गुरु-पादुका पूजन किया। गुरुपूर्णिमा उत्सव में रसिक महाराज जी ने साधकों को ब्रह्मलीन ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी माधवाश्रम महाराज जी के अनेक संस्मरण सुनाए और कहा कि मेरे सम्पूर्ण जीवन में जो कुछ भी है वह पूज्य गुरुदेव का ही कृपा प्रसाद है। इस अवसर पर महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी कृष्णानंद गिरि जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी समपूर्वानन्द जी महाराज, रसिक ज्ञान भक्ति समिति भारतवर्ष की राष्ट्रीय प्रभारी साध्वी मां देवेश्वरी जी, पूज्य स्वामी भैरवनाथ गिरि जी समेत नृसिंह भक्ति संस्थान के न्यासीगण तथा बड़ी संख्या में साधक समूह उपस्थित रहे।
गुरुपूर्णिमा उत्सव का सम्पूर्ण आयोजन राज्य सरकार द्वारा निर्धारित ‘कोरोना’ के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हुआ। कार्यक्रम की समाप्ति पर विशाल भंडारा आयोजित किया गया।