राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की अपील, आयुष्मान कार्ड यानी बुरे वक्त का सच्चा साथी
नई टिहरी। अगर आपने आयुष्मान कार्ड नहीं बनाया है तो देर किस बात की, अपने नजदीक के किसी भी जन सेवा केंद्र (CSC Center) या यूटीआई केंद्र (UTI Center) पर जाइए और बना लाइए अपने बुरे वक्त के साथी आयुष्मान कार्ड को। क्योंकि बुरे वक्त में जो साथ रहता है वही सच्चा साथी होता है, और आज के वक्त में आयुष्मान कार्ड किसी सच्चे साथी से कम नहीं है।
कहते हैं न, बुरा वक्त सबसे बड़ा जादूगर होता है। एक ही झटके में वह अच्छे अच्छे करीबियों के चेहरों से नकाब हटा देता है। सच में बुरे वक्त में तब दूरियों का अहसास होता है जब हर कोई कन्नी काटने लगता है। लेकिन आयुष्मान कार्ड एक ऐसा साथी है जो बुरे वक्त में भी साथ नहीं छोड़ता, बल्कि बुरे में ही काम आता है।
यह तो आप जानते ही हैं कि आज का दौर प्रतिस्पर्धा का दौर है। इस प्रतिस्पर्धा में धन के अपने मायने होते हैं, अगर आपकी आर्थिकी बेहतर है तो आपका वक्त अच्छा है। लेकिन यदि किसी वजह से आर्थिकी खराब हुई तो वक्त स्वतः ही खराब हो जाता है। ऐसे में ऐसे सहारे की जरूरत होती है।
इससे पहले कई उदाहरण ऐसे हुए हैं जिनके अच्छे दिनों को उनकी बीमारियों ने संकट का दौर बना डाला। जीवन भर की पूंजी इलाज में खर्च होने के उदाहरणों की भी कमी नहीं है। अपने वक्त पर नजदीकी और रिस्तेदार भी इस लिए किनारा करते है कि कहीं उपचार के खर्च में सहयोग ना करना पड़े। यहां किसी को दोष देना उचित नहीं होगा क्योंकि हर किसी की अपनी मजबूरी होती है । लेकिन जब से आयुष्मान योजना शुरू हुई तब से बुरे वक्त में एक ऐसा साथ लोगों को मिल गया है जो हर दम हर हाल में साथ देगा।
आयुष्मान योजना के अंतर्गत राज्य के भीतर 213 अस्पताल (111 प्राइवेट 102 सरकारी एवं राज्य के बाहर 27 हजार से अधिक अस्पतालों में 1600 प्रकार की रोग अवस्थाओं में निःशुल्क उपचार उपलब्ध है। इसलिए समझदारी इसी में है कि हर कोई अपना आयुष्मान कार्ड बनाए हालांकि प्रसन्नता इस बात की है कि प्रदेश में अबतक 44 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं और 3 लाख 20 हजार से ऊपर बार आयुष्मान कार्ड धारक योजना का लाभ भी उठा चुके हैं। इस उपचार पर राज्य सरकार 4 अरब 10 करोड़ रुपए से अधि एक की धनराशि भी खर्च कर चुकी हैं।