भगवान विष्णु जी ने ऐसा क्या आशीर्वाद दिया कि लोग गया में ही पिंडदान करने जाते हैं, जाने पौराणिक महत्व
गया ही वह जगह है जो मोक्ष की भूमि कहलाती है। विष्णु पुराण में भी इसकी चर्चा की गई है। विष्णु पुराण में कहा गया है, कि गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है, और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है, कि गया में भगवान विष्णु पित्र देवता के रूप में विराजमान है। इसलिए गया को पित्र तीर्थ भी कहा जाता है। भगवान राम और सीता जी ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में पिंडदान किया था।
गया में श्राद्ध के पीछे की पौराणिक कथा-
जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब गलती से उन्होंने असुर कुल्ल में एक असुर की रचना कर दी लेकिन उसमें असुरों की कोई प्रवृत्ति नहीं थी। गया हमेशा ही देवताओं की उपासना में लगा रहता था।
एक दिन गया ने सोचा क्यों न वो इतना पुण्य कमा लें कि उसे स्वर्ग मिल जाए। इसी कामना में वो विष्णु जी की उपासना में लग गया। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए उन्होंने उससे वर मांगने के लिए कहा यह सुनकर गया ने कहा भगवान आप मुझे यह वर दें की हमेशा मेरे शरीर में आप निवास करेंगे ताकि जो भी मुझे देखें उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएं और उसे स्वर्ग में स्थान मिले। यह वरदान पाकर वो लोगों के पाप घूम-घूम कर दूर करने लगा। यह देख यमराज काफी चिंतित हो गए। यमराज ने ब्रह्माजी से कहा कि गयासुर उनका सारा विधान खराब कर रहा है। क्योंकि उन्होंने सभी को उनके कर्मों के अनुसार ही फल भोगने की व्यवस्था की है। यह सुन ब्रह्माजी ने एक योजना बनाई। उन्होंने गयासुर से कहा कि तुम्हारी पीठ बहुत पवित्र है। ऐसे में मैं और समस्त देवगण तुम्हारी पीठ पर यज्ञ करेंगे। इससे गयासुर अचल नहीं हुआ।
गयासुर की पीठ पर स्वंय विष्णु जी आ बैठे। उनका मान रखते हुए उसने अचल होने का फैसला लिया। उन्होंने विष्णु जी से वरदान मांगा कि उसे एक शिला बना दिाय जाए और यहीं स्थापित कर दिया जाए। यही नहीं, गयासुर ने यह भी मांगा कि भगवान विष्णु सभी देवताओं के साथ अप्रत्यक्ष रूप से इसी शिला पर विराजमान रहें। मृत्यु के बाद यही स्थान धार्मिक अनुष्ठानों के लिए तीर्थस्थल बनेगा। यह देख विष्णु जी काफी प्रसन्न हुए। उन्होंने गयासुर को आशीर्वाद दिया कि जहां गया स्थापित हुआ वहां पितरों के श्राद्ध-तर्पण आदि किए जाएंगे और इससे मृत आत्माओं को पीड़ा से मुक्ति प्राप्त होगी।