श्राद्ध पक्ष: आस्था और श्रद्धा
उत्तराखंड। 🕉️ पितृ देवाय नमः 🕉️
अक्सर श्राद्ध पक्ष में क्या करना चाहिए क्या नहीं, तिथि पता नहीं तो कैसे श्राद्ध करें आदि अनेक अनबूझे प्रश्न श्राद्ध के सम्बन्ध में पूछे जाते हैं। जिनका उत्तर पंडित त्रिभुवन उप्रेती ज्योतिष कार्यालय नया बाजार हल्दूचौड़ हल्द्वानी से जानने की कोशिश करते हैं-
आज के मुख्य श्राद्ध सम्बंधित प्रश्न व उत्तर प्रश्न 1- श्राद्ध योग्य ब्राह्मण कौन हो सकता है। उत्तर- दो सगे भाइयों, पिता पुत्र, निरग्निक, गर्भवती स्त्री का ब्राह्मण पति, सगोत्र एवं समान प्रवर के ब्राह्मण शराबी मांसाहारी ब्राह्मण को कभी भी श्राद्ध भोज में नहीं बुलाना चाहिए( दूयो भ्रातरो: श्रादे भोजनं निषद्धम,पितृ पुत्रों भ्रातरौ द्धौ निरग्नं,गुर्विणीपतिम, सगोत्रप्रवरं चैव श्राद्धेषु परिवर्जयेत्।)
प्रश्न 2- ब्राह्मण कौन है जो योग्य है।
उत्तर- जो कर्म से ब्राह्मण हो नीति रीति का कर्ता हो उच्चकोटि की शैक्षिक अर्हता रखता हो सदमार्ग पर चलता हो वही ब्राह्मण है जाति से नहीं बल्कि कर्म से।
प्रश्न 3- क्या तिथि के श्राद्ध में ग्रहण पड़ जाय तो श्राद्ध होगा या नहीं।
उत्तर- जी हां एकोदिष्ट श्राद्ध ग्रहण काल में भी होगा, लेकिन कच्चे अन्न व फलों दक्षिणा वस्त्र दान से श्राद्ध पूर्ण माना जाता है।
प्रश्न 4- अगर श्राद्ध पक्ष में संतान का जन्म हो जाए तो क्या प्रक्रिया है।
उत्तर- अगर महालया श्राद्ध पक्ष में पुत्र या पुत्री का जन्म हो तो श्रेष्ठ फलकारी होता है, सामान्य समय की तरह नामकरण संस्कार करें पितरों का आशीर्वाद लेकर नाम राशि रखें। बहुत से लोग नामकरण संस्कार व दावत करते हैं पर नाम नहीं रखते जो पितरों के प्रति पाप है। बिना पितृ श्राद्ध के धार्मिक कार्य की पूर्णता नहीं है।
प्रश्न 5- विवाह के एक वर्ष तक क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
उत्तर- विवाह के एक वर्ष तक, जनेऊ संस्कार के 6 मास तक, चूडाकर्म के तीन मास तक पिंडदान, मृतक के साथ यात्रा, तिल- तर्पण त्याज्य है। महालया, गया श्राद्ध में माता पिता के क्षय दिन में पिंडदान हो सकता है, तिल तर्पण नहीं होगा।
प्रश्न 6- क्या तुलसी पत्र के बिना श्राद्ध संभव है। उत्तर- जी नहीं। बिना तुलसी, तिल, जौं, कुश, गाय के दूध, गंगा जल,घी, के श्राद्ध करना अपूर्ण है।