स्वतंत्रता आंदोलन के साथ समाज सुधार की बात करने वाले लोकनायक, भगवान बिरसा मुंडा
ऋषिकेश 6 नवंबर। पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश में महान क्रांतिकारी महापुरुष बिरसा मुंडा की जयंती मंगलवार को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई गई,इस अवसर पर परिसर में पोस्टर प्रतियोगिता और मेहंदी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता परिसर के प्राचार्य प्रो महावीर सिंह रावत द्वारा की गई एवं मुख्य अतिथि कला संकाय अध्यक्ष प्रो दिनेश चंद गोस्वामी उपस्थित रहे। उनकी फोटो पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर परिसर के प्राचार्य ने अपने संबोधन में कहा बिरसा मुंडा 19वीं सदी के एक प्रमुख आदिवासी जननायक थे। उनके नेतृत्व में मुंडा आदिवासियों ने 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में मुंडाओं के महान आन्दोलन उलगुलान को अंजाम दिया। बिरसा को मुंडा समाज के लोग भगवान के रूप में पूजते हैं। बिरसा मुंडा ने मुंडा आदिवासियों के बीच अंग्रेजी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करना शुरू किया। जब सरकार द्वारा उन्हें रोका गया और गिरफ्तार कर लिया तो उन्होंने धार्मिक उपदेशों के बहाने आदिवासियों में राजनीतिक चेतना फैलाना शुरू की।
मुख्य अतिथि प्रो दिनेश चंद्र गोस्वामी गया ने अपने संबोधन में कहा देश की स्वाधीनता, आदिवासी समाज की संस्कृति और गौरव को सुरक्षित करने का उनका कार्य अविस्मरणीय है.बिरसा मुंडा के नेतृत्व में 19वीं सदी के आखिरी दशक में किया गया मुंडा विद्रोह उन्नीसवीं सदी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण जनजातीय आंदोलनों में से एक है। इसे उलगुलाननाम से भी जाना जाता है।इस अवसर पर वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ अशोक कुमार मेंदोला, कार्यक्रम अधिकारी डॉ प्रीति खंडूरी, डॉ पारूल मिश्रा द्वारा भी संबोधित किया गया प्राचार्य द्वारा छात्र छात्राओं को पोस्टर प्रतियोगिता एवं मेहंदी प्रतियोगिता मैं सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया I
पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान तन्मय कुमार पंचम सेमेस्टर द्वितीय स्थान दीक्षा तृतीय सेमेस्टर तृतीय स्थान अक्षिता प्रथम सेमेस्टर द्वारा प्राप्त किया गया मेहंदी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अनुराधा बीए तृतीय सेमेस्टर द्वितीय स्थान शिवानी चौहान बीए तृतीय सेमेस्टर तृतीय स्थान दीक्षा प्रजापति बीए तृतीय सेमेस्टर द्वारा प्राप्त किया गया मंच का संचालन डॉ प्रीति खंडूरीऔर धन्यवाद ज्ञापन डॉ पारूल मिश्रा द्वारा किया गया I