दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय एजुकेशन सम्मिट सम्पन्न
ऋषिकेश 27 नवम्बर। डॉ अशोक फाउंडेशन एवं पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय कैंपस ऋषिकेश के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय शिक्षण एवं वैज्ञानिक बौद्ध सम्मेलन के दो दिवसीय कार्यक्रम का आज समापन हो गया है।
कार्यक्रम के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में डॉ मनीष त्रिपाठी सहायक प्रोफेसर इम्यूनोलॉजी तथा माइक्रोबायोलॉजी विभाग एक्सेस रियो ग्रैंड वैली विश्वविद्यालय यूएसए ने कोलोरेक्टल कैंसर की प्रगति एवं इसके रूप परिवर्तन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कोलोरेक्टल कैंसर दुनिया भर में तीसरे सबसे आम कैंसर है। उन्होंने इसके निदान पर भी प्रकाश डाला। इसके बाद डॉ मोहम्मद सिकंदर ने कैंसर क्षेत्र में अपने शोध कार्यों पर प्रकाश डाला। टैक्सास रियो ग्रांडे वैली विश्वविद्यालय के ही डॉ शबनम तथा डॉ अनुपम धस्माना असिस्टेंट डायरेक्टर ने अपने अपने शोध कार्यों पर प्रकाश डाला। इसके बाद जापान से हाउ कैन तथा रेनू वाधवा ने फाइटोकेमिकल्स तथा anti-stress एक्टिविटी पर अपना शोध कार्य पर प्रकाश डाला ।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी जापान के डॉ सी यांग ने कैंसर सेल पर व्याख्यान दिया ।
इसके अलावा तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता डॉ महेंद्र गहलोत सह आचार्य कम्युनिटी मेडिसिन विभाग एम्स ऋषिकेश ने अपना व्याख्यान दिया इसके साथ ही डॉक्टर अभिषेक चौहान सीनियर साइंटिस्ट एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा ने जलीय जीवाणु पर व्याख्यान दिया।
इसके साथ ही राजकीय इंटर कॉलेज तपोवन टिहरी गढ़वाल से आए राम आसरे सिंह ने चमत्कारों के पीछे के वैज्ञानिक तथ्यों को बताया।
समापन सत्र की मुख्य अतिथि उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती कुसुम डंगवाल ने शिरकत की।उन्होंने आयोजको को सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की।
साथ ही इस सम्मेलन को सफल बनाने में पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर के डीन ऑफ साइंस प्रो गुलशन कुमार ढींगरा, डॉ अशोक फाउंडेशन के डॉ मनोज कुमार, डॉ अशोक कुमार, डॉ अभिषेक चौहान, डॉ सुभाष चौहान, डॉ रुपेश आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए एवं महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
इसके बाद मुख्य अतिथि द्वारा सभी वक्ताओं को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र दिया गया।
इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालय तथा स्कूलों से आए प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया साथ ही पोस्टर एवं ओरल प्रेजेंटेशन में 57 प्रतिभागियों ने अपने शोध कार्यों को प्रदर्शित किया।