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दिव्य कलश यात्रा के साथ मसूरी में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा प्रारंभ

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मसूरी 11 जुलाई 2023। दिव्य कलश यात्रा के साथ मसूरी में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा प्रारंभ हो गई। इस अवसर पर अपने संबोधन में नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि अध्यात्म भारत की प्रकृति है, स्वभाव है। जब व्यक्ति अपने स्वभाव और मूल प्रकृति में लौटता है तो उसे अपनी ओर लौटने का नाम आध्यात्मिक उद्योग, अथवा आध्यात्मिक प्रयत्न है।मनुष्य जब अपनी प्रकृति और स्वभाव में रहता है तो वह शान्त, अनुशासित और सामर्थ्यवान रहता है।

महाराज ने कहा कि आध्यात्मिक व्यक्ति सबके प्रति ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’ के भाव में रहता है। मनुष्य जैसे स्वयं के लाभ के लिए जीता है वैसे अन्य के सम्मान-स्वाभिमान के प्रति भी सजग रहता है। आध्यात्मिक मनुष्य इतना संवेदनशील हो जाता है कि उसे अपने से भिन्न कुछ दिखता नही है। वह पेड़-पौधे, पुष्प आदि का आदर करने लगता है, जल के एक कण को व्यर्थ नहीं होने देता। वृक्ष परमार्थ के पोषक हैं। वृक्षों के बिना हमारा जीवन नही है। कार्बन का उत्सर्जन रोकने के लिए वृक्ष प्राणवायु छोड़ते है। तुलसी, बिल्ब, धतूरा आदि के बिना हमारे जीवन की परिकल्पना नही की जा सकती। 


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