श्रीमद्भागवत कथा: और जब भगवान भगवान रणछोड कहलाए–

पौड़ी 8 जून 2023। डांडा नागराजा मंदिर पौड़ी गढ़वाल में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के पांचवे दिन नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने अपने प्रवचन में भगवान श्री कृष्ण के बाल लीला का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान् श्रीकृष्ण ने बाल लीला करते हुए इन्द्र का अभिमान भंग किया और गोवर्धन पर्वत की पूजा बृज वासियो को करा कर विश्व को प्रकृति की रक्षा करने का ज्ञान दिया। फिर वृन्दावन आकर पूरे गोपीयो के साथ महारास कर उन्हे सुख दिया।
कंस के बुलावे पर मथुरा आए और मथुरा वासी को आनंदित करते हुए कंस की सभा तक आए और मल्ल युद्ध कर कई राक्षसों का संहार किया और अंत मे कंस का वध कर मोक्ष प्रदान किया।कंस के वध करने के बाद पूरे मथुरा मे खुशी की लहर दोड गई। भगवान् ने कारागार से अपने नाना को मुक्त कराया और मथुरा का राज्य सोप दिया। भगवान् ने गुरु सानदीपनी जी के आश्रम मे विद्या अर्जित की मगध के राजा जरासंध को 17 बार हराया और 18 वीं बार रणक्षेत्र से भागे। जिससे भगवान रणछोड कहलाए।
आचार्य महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि अंत मे भगवान् श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी जी के साथ सम्पन्न हुआ। रामावतार मे वनगमन के समय माता सीता को श्रृषी मुनि ने श्रृंगार करते हुए देखा तो उन सब के मन मे भी भगवान् की पत्नी बनने की इच्छा हुई तब भगवान ने कहा ये मेरा मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार है। जब कृष्ण रूप में आऊंगा वो मेरा लीला अवतार होगा। तब सब की इच्छा पूरी होगी। वृन्दावन गोकुल मे जितनी भी गोप गोपीया थी सब रामावतार के समय श्रृषी मुनि थे।
प्रवचन के दौरान मौके पर माँ देवेश्वरी, समाजसेवी सुभाषचंद्र शर्मा, दीपक नेगी, सुरेन्द्र विष्ट, रमन ब्रहमचारी, केशव स्वरुप ब्रहमचारी एवं बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।