“एंटी रैगिंग सप्ताह” के अन्तर्गत व्याख्यान माला का आयोजन किया
पौड़ी 12 अगस्त। राजकीय महाविद्यालय, मजरा महादेव, पौड़ी (गढ़वाल) में आज “एंटी रैगिंग सप्ताह”के अन्तर्गत व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. के. सी. दुद्पुड़ी ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि रैगिंग का शब्दिक अर्थ होता है-डांटना या सताना, जिसे विश्वविद्यालयों के छात्रों ने नवागंतुक या कनिष्ठ छात्रों से आत्मीयता बढ़ाने के संदर्भ में शुरू किया था । किन्तु विश्वविद्यालयों अथवा कॉलेजों में धीरे-धीरे रैगिंग का अर्थ बदलने लगा और आज इसने एक आतंक का रूप धारण कर लिया है ।
विद्यार्थी किसी संस्थान में प्रवेश पाने को लेकर इतने चिंतित नहीं होते, जितने कि प्रवेश मिलने पर रैगिंग का सामना करने को लेकर । यह ठीक है कि सभी संस्थानों में बहुत खराब रैगिंग नहीं होती । कभी-कभी नवागंतुक छात्रों को बहुत कम शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है, किन्तु कभी-कभी तो उनके लिए यह इतनी भयानक घटना बन जाती है कि वे अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं । इसलिए, इसे एक गंभीर अपराध घोषित किया जाना आवश्यक था ।
ऐसा नहीं कि इसके विरुद्ध कोई आवाज नहीं उठाई गई । जब भी ऐसी घटनाएं प्रकाश में आईं, लोगों ने उसकी निंदा की । किन्तु, रैगिंग का जितने बड़े स्तर पर आज विरोध हो रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ था । रैगिंग के सभी पूर्व मामलों को महत्त्वहीन अथवा गौण मामलों के रूप में लिया जाता रहा और पीड़ित के साथ सहानुभूति व्यक्त करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं किया गया । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी) भी विभिन्न संस्थानों में प्रचलित रैगिंग के चलन से अपरिचित नहीं है ।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी यू.सी.जी एक्ट 1956 को प्रभावी बनाकर इसे सख्ती से लागू किया तथा यह निर्देश भी दिया कि इसकी अवहेलना करने वाली संस्थाओं के प्रति दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।
महाविद्यालय के प्राध्यापकों में आदित्य शर्मा, इंद्रपाल सिंह रावत, डॉ दीपक कुमार , डॉ. चन्द्र बल्लभ नैनवाल, डॉ प्रियंका भट्ट, और डॉ. राकेश सिंह के साथ-साथ शिक्षणेतर कर्मचारी उदयराम पंत, विक्रम सिंह रावत, वीरेन्द्र सिंह, मनोज रावत कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।
महाविद्यालय की छात्र- छात्राओं ने भी कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया।