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टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और आईआईटी दिल्ली के मध्य विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और नवाचार के लिए सहयोगात्मक साझेदारी

टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और आईआईटी दिल्ली के मध्य विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और नवाचार के लिए सहयोगात्मक साझेदारी
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ऋषिकेश: 20 अक्टूबर। श्री आर.के. विश्नोई, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, टीएचडीसीआईएल ने बताया कि टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली ने 12 अक्टूबर, 2023 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इसके अंतर्गत विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए सहयोगात्मक साझेदारी स्थापित की गई है।

उन्होंने आगे बताया कि एमओयू के अनुसार,  टीएचडीसीआईएल आईआईटी दिल्ली के संकाय सदस्यों के नेतृत्व में अनुसंधान अध्ययन, पायलट प्रोजेक्ट और परामर्श कार्य संचालित करने के लिए कार्य करेगा। एमओयू में इस सहयोगात्मक गठबंधन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विस्तार से बताते हुए श्री विश्नोई ने कहा कि टीएचडीसीआईएल, आईआईटी दिल्ली के साथ अनेक सहयोगात्मक परियोजनाएं शुरू करेगी और संस्थान में एक रिसर्च ग्रुप को इस कार्य में लगाएगी।  

ये सहयोगात्मक अनुसंधान क्षेत्रों के व्यापक स्पेक्ट्रम को शामिल करेंगे, जिनमें ऊर्जा संरक्षण, लिथियम-आयन भंडारण बैटरी के विकल्प, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी के लिए नैनो टेक्नोलॉजी, हरित हाइड्रोजन, भू-तापीय प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे, अपशिष्ट प्रबंधन / रीसाइक्लिंग, पानी शामिल हैं।  इनके साथ ही  इसमें प्रबंधन/संरक्षण, भंवर-प्रेरित कंपन, सुरंग बनाने की तकनीक, जैव ईंधन, ग्रिड स्थिरता में सुधार और विभिन्न अन्य प्रासंगिक क्षेत्र भी शामिल होंगे।

टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री आर.के. विश्नोई ने आगे कहा कि “टीएचडीसीआईएल परिचालन व्यय और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों की लागत के लिए व्यापक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह सहयोग आईआईटी दिल्ली को पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों पर अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को निरंतर शुरू करने के लिए सशक्त बनाएगा, जिससे सहयोगात्मक अनुसंधान प्रयासों में उनके बढ़ते ज्ञान की महत्पूर्ण भूमिका रहेगी।”

एमओयू के अनुसार, आईआईटी दिल्ली आवश्यक बुनियादी ढांचागत सहायता और वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा। ये संसाधन संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों के साथ तालमेल बिठाते हुए अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में सहायक होंगे।

प्रोफेसर नरेश भटनागर, डीन (आर एंड डी), आईआईटी दिल्ली ने इस क्षेत्र में आईआईटी दिल्ली की वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग क्षमताओं पर भरोसा करने और बैटरी, संचार और रोबोट एप्लिकेशन आदि के क्षेत्रों में परियोजनाओं को चालू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु टीएचडीसीआईएल प्रबंधन को हार्दिक धन्यवाद दिया। भविष्य में, टीएचडीसीआईएल द्वारा आवश्यकता पड़ने पर आईआईटी दिल्ली कई और क्षेत्रों को भी कवर करेगा।

इस साझेदारी के प्रभाव को मजबूत करने के लिए, आईआईटी दिल्ली, टीएचडीसीआईएल के सहयोग से, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ जुड़ने के लिए अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाएगा। इस सहभागिता का उद्देश्य बुनियादी और ट्रासंलेशनल रिसर्च सोल्यूशन दोनों हैं। इसके अतिरिक्त, संस्थान प्रासंगिक विषयों से अधिक संकाय सदस्यों को कार्य में जुटाएगा और सहयोगी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से प्रसारित करेगा।

श्री एस.के. चौहान, विभागाध्यक्ष (आर एंड डी), टीएचडीसीआईएल और आईआईटी दिल्ली के डीन (आर एंड डी) प्रोफेसर नरेश भटनागर ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता पांच साल के लिए किया गया है।

श्री विश्नोई ने कहा कि टीएचडीसीआईएल और आईआईटी दिल्ली के बीच यह सहयोगी उद्यम अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी उन्नति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें विभिन्न उद्योगों और डोमेन के लिए अभूतपूर्व समाधान प्रदान करने की क्षमता है।

टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्थापित क्षमता के साथ देश के प्रमुख बिजली उत्पादकों में से एक है, जिसका श्रेय इसकी प्रचालनाधीन परियोजनाओं को जाता है जिनमें उत्तराखंड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट),  गुजरात के पाटन और द्वारका में क्रमश: 50 मेगावाट और 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं और उत्तर प्रदेश के झाँसी में 24 मेगावाट की ढुकवां लघु जल विद्युत परियोजना तथा केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना शामिल हैं।


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Govind Pundir

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