केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया, ग्रामीणों से संवाद कर दिए आवश्यक निर्देश
टिहरी गढ़वाल, 20 जून 2024। गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जनपद टिहरी गढ़वाल पहुंचकर नरेंद्रनगर एवं टिहरी वन प्रभाग क्षेत्रांतर्गत वनाग्नि की घटनाओं को लेकर विभिन्न क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने शिवपुरी, हिंडोलाखाल, बेमुंडा, आगराखाल और बादशाहीथौल आदि क्षेत्रों का दौरा कर वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्रों तथा विभागीय तैयारियों का जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। जंगलों को सुरक्षित रखने और वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए ग्राउंड जीरो पर जाकर काम करने पर जोर दिया गया। उन्होंने शासन और विभागीय समन्वय के साथ स्थानीय जन सहभागिता सुनिश्चित करने का आह्वान किया। आग की सूचना प्राप्त होने पर कम से कम समय में उससे निपटने और वनाग्नि के कारणों के समाधान हेतु विभागों को और अधिक सक्रिय होकर समस्त व्यवस्थाएं करने को कहा गया।
बेमुंडा क्रू स्टेशन में कैबिनेट मंत्री ने ग्रामीण महिलाओं और क्षेत्रवासियों के साथ संवाद किया और जंगलों में आग लगने के कारणों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने वनाग्नि को बुझाने में लगे वन कर्मियों से भी बात की और क्रू स्टेशन का जायज़ा लिया। बादशाहीथौल में चीड़ के वनों में हुई अग्नि दुर्घटनाओं का मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया तथा अधिकारियों से वार्ता कर अग्नि को रोकने एवं उससे निपटने के संबंध में प्रयासों की पूर्ण समीक्षा की। वनाग्नि से निपटने हेतु उपकरणों का निरीक्षण किया और वन कर्मियों से जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने स्थानीय समुदाय को भी प्रेरित किया। उन्होंने हाल ही में हुई वन अग्नि की दुर्घटनाओं एवं उससे हुई जान-माल की क्षति पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने स्टेक होल्डर्स से बातचीत कर वनाग्नि प्रबंधन के सुझाव मांगे। उन्होंने कहा, “वनाग्नि से महज जंगल ही नहीं जल रहे, बल्कि इससे वन संपदा नष्ट होने के साथ ही पशु पक्षियों और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही सरकार और जनसमुदाय को आर्थिक रूप से भी दिक्कत हो रही है।” उन्होंने बताया कि भारत सरकार वनाग्नि, पराली जलाने सहित पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ के मुद्दों को लेकर चिंतित है। उत्तराखंड का 70 प्रतिशत से अधिक भूभाग वनों से आच्छादित है, ऐसे में वनों को आग से बचाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल सहित वन महकमे के आला अधिकारियों से वनाग्नि के कारणों के बारे में जानकारी ली। इसमें यह बात सामने आई कि वनाग्नि के लिए कहीं न कहीं समाज और सिस्टम दोषी हैं। लोग लापरवाही से जलती तीली, बीड़ी, सिगरेट जंगलों में फेंक रहे हैं, जिससे आग वनों में फैल जाती है। वहीं कुछ ग्रामीण अपने नाप खेतों और सिविल वन क्षेत्र में आग लगा देते हैं, जिससे आग वनों की ओर बढ़ जाती है।
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने ग्रामीण महिलाओं से वनाग्नि के कारण पूछे, जिसमें अधिकांश लोगों का कहना था कि अब लोगों का वनों से भावनात्मक लगाव कम हो रहा है। पहले जहां वनाग्नि पर पूरा गांव और समुदाय आग बुझाने आ जाते थे, अब ऐसा देखने को नहीं मिलता है। अधिकांश लोगों ने चीड़ के वृक्षों को वनाग्नि का प्रमुख कारण बताया। सुझाव दिया कि एक-एक पेड़ चिन्हित कर चीड़ का धीरे-धीरे उन्मूलन किया जाए। ऊंचाई वाले स्थानों पर बांज, बुरांस, भमोरा, काफल, मोरू, नैर, थुनैर जैसी प्रजातियों के पेड़ लगाए जाएं। वहीं निचले स्थानों पर चौड़ी पत्ती और फलदार पौधे लगाने से वनाग्नि को कम किया जा सकता है। इसके अलावा वन पंचायतों और ग्राम सभाओं को वनाग्नि के लिए बजट उपलब्ध कराना चाहिए। मंत्री ने सभी सुझावों की रिपोर्ट तैयार कर भारत सरकार को उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
इस दौरान केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने आगराखाल स्थित सामुदायिक उन्नति केंद्र का निरीक्षण किया तथा स्थानीय समुदाय द्वारा विभिन्न विकास गतिविधियों में किए जा रहे कार्यों की जानकारी ली।
केंद्रीय वन मंत्री ने टिहरी बांध का भ्रमण कर बांध के बारे में जानकारी ली। उन्होंने डैम क्षेत्र में टीएचडीसी की ओर से स्थापित संग्रहालय का निरीक्षण कर टिहरी बांध का इतिहास, विस्थापन और नई टिहरी शहर के बारे में गहनता से पूछताछ की। इस दौरान बांध से जुड़े अधिकारियों से पीएसपी की प्रगति, टिहरी बांध और कोटेश्वर बांध से विद्युत उत्पादन के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने टिहरी बांध के पावर हाउस का भ्रमण कर इसकी तकनीकी जानकारी टीएचडीसी के अधिकारियों से ली।
इस मौके पर प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल, टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय सहित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।