कनाडा यात्रा पर धर्म गुरु रसिक महाराज
हिंदू धर्म का अर्थ है “सनातन धर्म” या “शाश्वत धर्म — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
हिन्दू धर्म सोसाइटी द्वारा एडमंटन कनाडा में आयोजित सेमिनार में धर्म गुरु रसिक महाराज ने कहा कि हिन्दू धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। यहां शताब्दियों से मौखिक (तु वेदस्य मुखं) परंपरा चलती रही, जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढ़ते रहे। उसके बाद इसे लिपिबद्ध (तु वेदस्य हस्तौ) करने का काल भी बहुत लंबा रहा है। हिन्दू धर्म के सर्वपूज्य ग्रन्थ हैं वेद। वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। वेदों के रचनाकाल का आरंभ 2500 ई.पू. से है। यानि यह धीरे-धीरे रचे गए और अंतत: पहले वेद को तीन भागों में संकलित किया गया- ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद जिसे वेदत्रयी कहा जाता था। कहीं कहीं ऋग्यजुस्सामछन्दांसि को वेद ग्रंथ से न जोड़ उसका छंद कहा गया है। मान्यता अनुसार वेद का विभाजन राम के जन्म के पूर्व पुरुंरवा राजर्षि के समय में हुआ था। बाद में अथर्ववेद का संकलन ऋषि अथर्वा द्वारा किया गया। वहीं एक अन्य मान्यता अनुसार कृष्ण के समय में वेद व्यास कृष्णद्वैपायन ऋषि ने वेदों का विभाग कर उन्हें लिपिबद्ध किया था। मान्यतानुसार हर द्वापर युग में कोई न कोई मुनि व्यास बन वेदों को 4 भागों में बाटते है।
हिंदू धर्म का अर्थ है “सनातन धर्म” या “शाश्वत धर्म”। यह एक धर्म है जो भारत में उत्पन्न हुआ और दुनिया भर में फैल गया। हिंदू धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, और इसमें कोई एक केंद्रीय सिद्धांत नहीं है। इसके बजाय, हिंदू धर्म एक विविध धर्म है जिसमें कई अलग-अलग विश्वास और प्रथाएं शामिल हैं।