पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण, तो पितरों का पूर्णिमा श्राद्ध कब होगा, नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज से जानें —

पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण, तो पितरों का पूर्णिमा श्राद्ध कब होगा, नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज से जानें —
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श्राद्ध पक्ष में इस साल एक ही पक्ष में दो – दो ग्रहण पड़ रहे हैं। पहला 7 सितम्बर को भाद्रपद मास की पूर्णमासी को चंद्रग्रहण और दूसरा आश्विन मास की अमावस्या यानि पित्रविर्सजन के दिन सूर्यग्रहण होगा। पित्रतिथि में ग्रहण पड़ने के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। 

पितरों को तर्पण के लिए पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है। आपको बता दें कि चंद्रग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले से लग जाता है। ऐसे में चंद्रग्रहण का सूतक काल 12.57 मिनट से शुरू हो जाएगा। अब अधिकतर लोगों के मन में सवाल है कि क्या पितृपक्ष पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के कारण क्या इस दिन पितरों का श्राद्ध होगा। ऐसे में आप नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज से जान सकते हैं।

नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने बताया कि सात सितंबर को पितृ पक्ष का मुख्य समय महालय प्रारंभ होने जा रहा है। जिसमें चंद्रग्रहण का संयोग 19 वर्षों बाद आया है। पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध कर्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को ही किया जाता है, जो सात सितंबर (रविवार) को ही होगा। इसलिए पितरों के श्राद्ध आदि को लेकर भ्रमित ना हों। सूतक 12.57 से लग रहे हैं, इसलिए तर्पण इससे पहले कर सकते हैं। आपको बता दें कि पितृपक्ष में ग्रहण से दान पुण्य का फल और अधिक बढ़ जाता है। इसलिए श्राद्ध के बाद और चंद्रग्रहण के बाद भी पितरों के लिए दान कर सकते हैं, जो बहुत पुण्यफल देने वाला होता है। जिस तिथि पर पितृ देव दिवंगत हुए होते है, उसी तिथि पर पितृपक्ष में तिथियों के अनुसार श्राद्ध कर्म व तर्पण किया जाना शास्त्र सम्मत होता है। प्रतिपदा का श्राद्ध व तर्पण आठ सितंबर को किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 7 सितम्बर को खग्रास चंद्रग्रहण का आरंभ रात्रि 9.45 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण का मध्य समय रात्रि 11.41 बजे होगा। इसका मोक्ष अर्थात ग्रहण की समाप्ति मध्यरात्रि 1.27 बजे होगा।

देश और समाज पर भी पड़ सकता है असर —

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस ग्रहण का असर केवल व्यक्तिगत जीवन पर नहीं, बल्कि देश और समाज पर भी पड़ेगा। ज्योतिषियों के मुताबिक, पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन की आशंका बढ़ सकती है। कुछ क्षेत्रों में अकाल जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। राजनीतिक अस्थिरता और उथल-पुथल की आशंका भी जताई जा रही है। 

ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण जिस राशि और नक्षत्र में लगता है, उसका असर उसी राशि और नक्षत्र के जातकों पर सबसे अधिक पड़ता है। इस बार का चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है, जो इसे खास बनाता है। साथ ही ग्रहों की स्थिति भी इस समय कई बदलावों के संकेत दे रही है। 

कुंभ राशि पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि के जातकों के लिए फायदेमंद रहेगा। इस दौरान आपको विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में सफलता मिल सकती है। नौकरी करने वालों के लिए पदोन्नति के अच्छे योग बनते दिखाई दे रहे हैं। आपके काम की सराहना होगी और कार्यस्थल पर आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। जो लोग व्यापार करते हैं, उनके लिए भी यह समय सकारात्मक परिणाम देने वाला रहेगा। लाभ के कई अवसर बन सकते हैं। इसके अलावा, धन प्राप्ति के कई स्रोत खुल सकते हैं, जिससे आर्थिक स्थिति और भी मजबूत हो सकती है। 

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र वालों पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव

जो लोग पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे हैं, उनके लिए यह साल का अंतिम चंद्र ग्रहण सौभाग्य लेकर आने वाला है। करियर के क्षेत्र में तरक्की के संकेत हैं, खासकर जो लोग नौकरी में उन्नति चाहते हैं या विदेश में काम करने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए समय अनुकूल है। हालांकि, इस शुभ समय के बीच आपको अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं। साथ ही, अनावश्यक बहस या विवाद से बचना आपके लिए फायदेमंद रहेगा, वरना मानसिक तनाव हो सकता है। 

इस बातों का रखें ध्यान– 

चंद्रग्रहण के दौरान खाना न बनाएं और न ही खाएं।-भगवान की मूर्तियों का स्पर्श न करें।-ग्रहण अवधि में सोने से परहेज करें।-गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें।-नुकीले उपकरण का उपयोग न करें।-नकारात्मक या ऊर्जाहीन जगहों पर न जाएं। 

ग्रहण के दौरान ऐसा करना फायदेमंद-

ग्रहण काल के समय भगवान के मंत्रों का जाप कर सकते हैं।-ध्यान, साधना और शांति का अभ्यास करें।-जरूरतमंदों को दान पुण्यकारी माना गया है।-तुलसी पत्तों का उपयोग भोजन, जल में करें।-ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान, दान-पुण्य करें।-देव दर्शन के लिए आसपास के मंदिर जाएं।


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Govind Pundir

*** संक्षिप्त परिचय / बायोडाटा *** नाम: गोविन्द सिंह पुण्डीर संपादक: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल टिहरी। उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार। पत्रकारिता अनुभव: सन 1978 से सतत सक्रिय पत्रकारिता। विशेषता: जनसमस्याओं, सामाजिक सरोकारों, संस्कृति एवं विकास संबंधी मुद्दों पर गहन लेखन और रिपोर्टिंग। योगदान: चार दशकों से अधिक समय से प्रिंट व सोशल मीडिया में निरंतर लेखन एवं संपादन वर्तमान कार्य: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान करना।

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