“औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती और उपयोग” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न
देहरादून। कृषि विज्ञान केंद्र, ढकरानी (देहरादून) में 27 से 29 अक्टूबर, 2025 तक भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद– वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के विस्तार प्रभाग द्वारा “औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती और उपयोग” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों सहित कुल 35 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ 27 अक्टूबर को हुआ। उद्घाटन सत्र में संस्थान की टीम ने सभी विषय विशेषज्ञों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत की। तीन दिनों तक चले इस प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारी, आयवृद्धि के उपाय, विपणन के अवसर और जैव-उर्वरक निर्माण के आधुनिक तरीके सिखाए गए।प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने औषधीय एवं खाद्य मशरूम उत्पादन, जंगली खाद्य पौधों का औषधीय महत्व, मृदा उपयुक्तता, बीज एवं नर्सरी तकनीक, तथा किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की भूमिका जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम के अंतर्गत सगंध पौधा केंद्र, सेलाकुई का शैक्षिक भ्रमण भी कराया गया। यहां विशेषज्ञों ने लेमन ग्रास, सिट्रोनेला, तुलसी, खस, गुलाब, जूही, स्टीविया, पुदीना, अगर आदि पौधों का जीवंत प्रदर्शन कर उनके उपयोग और आवश्यक तेल प्राप्ति की प्रक्रिया समझाई। कृषिविज्ञान केंद्र ढकरानी में प्रतिभागियों ने सुधरी हुई आंवला किस्म के फलधारक पौधों का भी अवलोकन किया।
29 अक्टूबर को प्रशिक्षण के समापन सत्र में प्रतिभागियों से उनकी प्रतिक्रियाएं ली गईं और प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम के सफल आयोजन में विस्तार प्रभाग के वैज्ञानिक डा. चरण सिंह, श्री रामबीर सिंह, श्री लोकेन्द्र शर्मा, तकनीकी सहायक श्री नवीन चौहान, तकनीशियन श्री पुष्कर सिंह तथा कृषिविज्ञान केंद्र ढकरानी के प्रभारी अधिकारी प्रोफेसर ए. शर्मा और उनकी टीम का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम ने किसानों को औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की नई दिशा दिखाई।
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