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जानिए कहां शुरू हो रही गधी के दूध की डेयरी: 2 से 7 हजार रुपए लीटर कीमत

जानिए कहां शुरू हो रही गधी के दूध की डेयरी: 2 से 7 हजार रुपए लीटर कीमत
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गुजरात की हलारी नस्ल की गधी का दूध औषधियों का खजाना माना जाता है

गढ़ निनाद न्यूज़* 9 अगस्त 2020

हिसार: कोरोना काल में इसके संक्रमण से बचने का सबसे बड़ा उपाय है कि हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आजकल कई दावे किए जा रहे हैं। क्योंकि कोरोना की दवा तो अभी बनी नहीं, क्या इलाज किया जा रहा, किस दवा से किया जा रहा है कुछ पता नहीं। कुल मिलाकर एक बात में दम है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाए तो कोरोना को मत दी ब सकती है।

इसी बीच एक ऐसी खबर आई है कि गधी के दूध में कई रोगों से लड़ने की क्षमता है। सुनने में आपको जरूर अटपटा लग रहा होगा पर कहते हैं न कि जिसका नर क्या न करे। जी हां अभी तक आप गाय, भैंस, बकरी के दूध का सेवन किया होगा, ऊंटनी का भी दूध पिया होगा, लेकिन देश में पहली बार गधी के दूध की भी डेयरी खुलने वाली है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि गधी का दूध शरीर का इम्यून सिस्टम ठीक करने में भी काफी अहम भूमिका निभाता है। 

देश में पहली बार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार में हलारी नस्ल की गधी के दूध की डेयरी शुरू होने जा रही है। इसके लिए एनआरसीई ने 10 हलारी नस्ल की गधियों को पहले ही मंगा लिया था। जिनकी मौजूदा समय में ब्रीडिग की जा रही है। अब चौंकिए मत, इसके दूघ की कीमत होगी दो से सात हजार रुपए लीटर । 

बता दें कि ब्रीडिग के बाद ही डेयरी का काम जल्द शुरु कर दिया जाएगा। गुजरात की हलारी नस्ल की गधी का दूध औषधियों का खजाना माना जाता है। यह बाजार में दो हजार से लेकर सात हजार रुपये लीटर तक में बिकता है। 

इससे कैंसर, मोटापा, एलर्जी जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है। इससे ब्यूटी प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं, जो काफी महंगे होते हैं। डेयरी शुरू करने के लिए एनआरसीई हिसार के केंद्र्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र व करनाल के नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट के विज्ञानियों की मदद भी ली जा रही है।

बताया जा रहा है कि गाय या भैंस के दूध से कभी कभी छोटे बच्चों को एलर्जी हो जाती है मगर हलारी नस्ल की गधी के दूध से कभी एलर्जी नहीं होती है। इसके दूध में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटीएजीन तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में कई गंभीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित करते हैं। 

गधी के दूध पर शोध का काम एनआरसीई के पूर्व डॉयरेक्टर डॉक्टर बीएन त्रिपाठी ने काम शुरू कराया था। एनआरसीई के निदेशक डॉक्टर यशपाल ने बताया कि इस दूध में नाम मात्र का फैट होता है। डेयरी से पहले गधी के दूध से ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने का काम किया जा चुका है। था। केरल की एक कम्पनी ने इस तकनीक को कुछ समय पहले ही खरीदा है और ब्यूटी प्रोडक्ट तैयार कर रही है।


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Govind Pundir

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