बाल कविता- ” मकर संक्रान्ति “
-डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी
धनु राशि को छोड़कर ,
मकर राशि मे सूर्य प्रवेश ।
दक्षिणायण का भोग कर ,
अब उत्तरायण है भेष ।।1 ।।
माघ मास संक्रान्ति ही,
होती मकर संक्रान्त ।
खिचड़ी घर – घर मे बनें ,
चाहे हो कोई भी प्रान्त ।।2 ।।
नदी स्नान जप – दान भी,
करते हैं इस दिन सब ।
जो जिसके भी पाप हों ,
मिटते हैं इससे तब ।।3 ।।
रंग – बिरंगी बहुत सी पतंगें ,
दिखती हैं नील गगन ।
चौलाई – तिल लड्डू खाकर ,
बच्चे – बूढ़े सभी मगन ।।4 ।।
रातें तब छोटी लम्बे दिन ,
सूरज का बढ़ने लगता ताप ।
होने लगता तब छिन – छिन,
बिना प्रयास के अपने आप ।।5।।