धार्मिक एवं साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देकर पलायन पर अंकुश संभव -शांति प्रसाद नौटियाल
चीड़ मुक्त हो उत्तराखंड
गढ़ निनाद समाचार* 22 फरवरी 2021।
घनसाली से लोकेंद्र जोशी। सरकार की अस्पष्ट और गलत नीति के कारण उत्तराखंड में चीड़ के जंगल अभिशाप बनते जा रहे है, जिससे उत्तराखंड के अधिकांश काश्तकार अभिशप्त हैं। चीड़ के जंगलों को समाप्त कर पत्तेदार पेड़ों के जंगल स्थानीय काश्तकारों सहयोग से सरकार तैयार करे।
यह बात उत्तराखंड राज्य कर विभाग से सेवा निवृत्त ज्वाइंट कमिश्नर श्री शांति प्रसाद नौटियाल ने एक भेंट में कहीं। ग्राम सेमा पट्टी ढुंग मंन्दार, टिहरी गढ़वाल मूल निवासी शांति प्रसाद नौटियाल, राज्य कर विभाग से ज्वाइंट कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात वर्ष 2017 से समाज सेवा के साथ साथ ऑर्गेनिक खेती का कार्य भी कर रहे हैं।
श्री नौटियाल कहते हैं कि पहाड़ों के लिए सरकारी स्तर पर स्पष्ट कृषि और वन नीति हो। इसके लिए सरकार जंगली जानवरों से फसलों की रक्षा करने के साथ साथ काश्तकारों को उनके खेतों पर उपजे चीड़ के पेड़ों को काटने की खुली छूट बन विभाग की देखरेख में दे। चीड़ के जंगलों से हरे पत्तेदार पेड़ों का नुकसान तो होता ही है साथ साथ पुराने जल स्रोत भी सूख रहे हैं।
नौटियाल ने कहा कि धार्मिक पर्यटन एवं साहसिक पर्यटन अनादिकाल से पहाड़ की आर्थिकी रही है। जिसको मजबूती देने के लिए पौराणिक पैदल मार्गों को मोटर मार्गों में तब्दील कर रोजगार के संसाधन विकसित होंगे। कहा कि खैट पर्वत सहित पूरे उत्तराखंड में रज्जू मार्ग को बढ़ावा देकर पर्यटन की सुदृढ़ बनाने पर बल देते हुए कहा कि, रज्जु मार्गों के विकसित होने पर जहां पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा मिलेगा वहीं आपदा के समय में राज्जु मार्गों के माध्यम से आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य करने में आसानी होगी।
श्री नौटियाल ने कहा उत्तराखंड सैन्य बाहुल इलाका है और यहां के युवा वर्ग सेना और अर्धसैनिक बल में अपनी सेवाएं देकर राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए तत्पर रहता है। इसलिए सैन्य धाम को पांचवां धाम के रूप में विकसित कर, सैन्य परिवारों को इससे जोड़ा जाय।