नई टिहरी-3 “मिनी स्विट्जरलैंड”….
विक्रम बिष्ट*
नई टिहरी। उस समय एशिया के सबसे बड़े और विश्व के 20 सबसे ऊंचे बांधों में से एक टिहरी के लिए योजनाओं पर काम चल रहा था तो वह एक कुंआं, सड़क, खम्भों जैसी कहानी तो नहीं होगी?
समुद्र मंथन से एक रत्न निकाला जाना था- टिहरी। भारत का अति महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट- मिनी स्विट्जरलैंड । जाहिर है कि वह मास्टर प्लान या महायोजना मूर्खता का सामूहिक गान तो नहीं रही होगी। लेकिन अपूर्ण और अन्याय की जननी तो थी।
टिहरी शहर पर एक नजर
गढ़वाल के विभाजन के बाद सुदर्शन शाह ने भागीरथी- भिलंगना नदियों के संगम तट पर इसे बसाया। राज महल (पुराना दरबार) के साथ 30 दुकानें बनाकर किराए पर दीं ताकि बस्ती बसे।
कालांतर में यह देश का दूसरा शहर बना जहां बिजली आई थी, बेशक राज महल तक। बिजली आई या टपकी नहीं थी बाकायदा इसका उत्पादन होता था।
तीन ओर से नदियों से घिरे होने के बावजूद यहां पेयजल की आपूर्ति की अच्छी व्यवस्था थी। आबादी बढ़ने के बावजूद कुछ संस्थागत ढांचों और परियोजना कालोनियों के अतिरिक्त बड़े पैमाने पर हरियाली विनाश के काम नहीं हुए थे। टिहरी में प्रताप इंटर कॉलेज, मॉडल स्कूल, प्रदर्शनी और आजाद मैदान के साथ दोबाटा में विशाल मैदान थे। खेल विकास की संपूर्ण संभावनाओं के साथ।
नरेंद्र महिला विद्यालय था। जिसके ग्रीक टौली ऑडिटोरियम की कल्पना उत्तराखंड में की भी नहीं जा सकती है। टिहरी का बेजोड़ घंटाघर। जिसकी घड़ियां चुरा ली गई थी। ऐतिहासिक प्रताप इंटर कॉलेज और भी बहुत कुछ !
क्या आपको नई टिहरी के जड़ कटे मास्टर प्लान में ऐसी कोई प्रतिछाया दिखती है ?